ममता बनर्जी से पूछा जाना चाहिए कि सांप्रदायिकता से निपटने का आपका बेंचमार्क क्या है?

ममता न तो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोपों-अफवाहों पर लगाम कस पा रही हैं और न ही बहुसंख्यक उग्रता पर. आखिर सांप्रदायिकता को रोकने में बहुसंख्यक वोटों की सरकारों की तरह अल्पसंख्यक वोटों की सरकारें भी क्यों लाचार नज़र आती हैं?