यह मामला 1999 में झारखंड के गिरीडीह में ‘ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक’ के आवंटन से जुड़ा है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री (कोयला) रहे दिलीप रे के अलावा विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में दोषी ठहराए गए दो अन्य लोगों को भी तीन साल जेल की सजा सुनाई.
झारखंड में अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला आवंटन मामले में कथित अनियमितताओं से संबंधित अन्य मामले में पूर्व कोयला राज्य मंत्री दसारी नारायण राव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ नवीन जिंदल को भी आरोपी बनाया गया है.
मोदी सरकार के पांच सालों के बाद सुप्रीम कोर्ट डरा हुआ, बंटा हुआ और कमज़ोर नज़र आता है, जो एक ताकतवर केंद्र सरकार को चोट पहुंचाने से बचता हुआ दिखता है.
साल 2013 पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने कोयला घोटाले के संबंध में जी न्यूज़ के सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया पर 100 करोड़ मांगने के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया को गिरफ़्तार भी किया था.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मुध कोड़ा को सुनवाई की अगली तारीख़ तक अंतरिम ज़मानत भी दे दी है.
ऐसा लगता है कि मोदी के लिए भ्रष्टाचार भी बस एक और ‘जुमला’ था क्योंकि भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार के लिए जिन्हें निशाना बनाया गया, वे न सिर्फ जीवित हैं, बल्कि उसके नेतृत्व में फल-फूल भी रहे हैं.
झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु समेत कोयला सचिव और तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार विजय जोशी को भी तीन साल की क़ैद की सज़ा. कंपनी पर 50 लाख का जुर्माना.
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल को निर्देश दिया, इस मामले में प्रगति रिपोर्ट चार सप्ताह में पेश की जाए.
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी, नवनियुक्त सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का उस कंपनी से संबंध है जिस पर 5000 करोड़ की अनियमितता का आरोप है.
आयकर विभाग और सीबीआई भारत की राजनीति तय कर रहे हैं. भ्रष्टाचार तो मिटा नहीं, राजनीति तय कर देना भी कम बड़ा योगदान नहीं है.