यूपी: मुज़फ़्फ़रनगर की खाप पंचायत ने महिलाओं के जींस और पुरुषों के शॉर्ट्स पहनने पर पाबंदी लगाई

राजपूत समुदाय की खाप पंचायत ने कहा कि जींस आदि परिधान पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा हैं और महिलाओं को साड़ी, घाघरा तथा सलवार-कमीज जैसे पांरपरिक भारतीय वस्त्र पहनना चाहिए. पंचायत ने चेतावनी भी दी है कि जो भी इसका उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उन्हें दंडित और बहिष्कृत किया जा सकता है.

राजस्थान: कथित प्रेम संबंध होने पर पंचायत ने भीड़ के सामने विवाहिता और युवक को निर्वस्त्र नहलाया

मामला सीकर ज़िले का है, जहां सांसी आदिवासी समुदाय के पंच-पटेलों ने कथित प्रेम संबंध होने पर एक विवाहित महिला और युवक के 'शुद्धिकरण' के नाम पर भीड़ के सामने उन्हें निर्वस्त्र नहाने को मजबूर किया. साथ ही दोनों पर कुल 53 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया.

राजस्थान में पक्षी का अंडा फूटने से पांच वर्षीय बच्ची जाति से बाहर, 10 खाप पंचों पर केस दर्ज

बूंदी ज़िले में टिटहरी नामक पक्षी के अंडे से जुड़े अंधविश्वास के चलते बच्ची को 10 दिन से घर के बाहर रखा गया और दूर से ही खाना-पीना दिया जा रहा था.

दो वयस्कों के विवाह में किसी भी प्रकार का दखल पूरी तरह ग़ैरकानूनी: सुप्रीम कोर्ट

एक खाप पंचायत अध्यक्ष ने कहा है, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करेंगे. हम वेदों को मानते हैं और वेदों में सगोत्रीय विवाहों को अनुमति नहीं दी गई है. एक ही गांव में रह रहे लोग भाई-बहन होते हैं, वे पति-पत्नी कैसे बन सकते हैं?'

मनीष सिसोदिया ने आईएएस एसोसिएशन की तुलना खाप पंचायत से की

उपराज्यपाल को लिखे पत्र में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘आप दिल्ली के उपराज्यपाल हैं. आप आईएएस अधिकारी रहे हैं, लेकिन मैं आपसे आईएएस अधिकारी के चश्मे से चीजों को नहीं देखने का अनुरोध करता हूं.’

दो वयस्क शादी करें, तो कोई तीसरा उसमें दख़ल नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट

एक याचिका की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कोई बालिग महिला और पुरुष शादी करते हैं, तो परिवार, रिश्तेदार, समाज या खाप उस पर सवाल नहीं कर सकते.

अंतरजातीय विवाह करने वाले वयस्क दंपतियों पर खाप पंचायत का हमला ग़ैरक़ानूनी: सुप्रीम कोर्ट

खंडपीठ ने अंतरजातीय और सगोत्र विवाह के मामलों में परिवार की इज़्ज़त की ख़ातिर दंपतियों की हत्या रोकने के उपायों के बारे में केंद्र से जवाब मांगा.

जनसंख्या बढ़ाने से संबंधित ‘जियो पारसी’ अभियान बेहद आपत्तिजनक है

यह विज्ञापन अभियान अविवाहित व्यक्तियों को तो शर्मिंदा करता ही है, साथ ही उन दंपतियों को भी शर्मिंदा करता है, जिनके कम से कम दो बच्चे नहीं हैं.

सरकारी अफ़सरान हों या मुंसिफ़, ख़ुद को सामाजिक नैतिकता का प्रहरी मान बैठते हैं

व्यक्ति कुछ मौलिक अधिकारों से संपन्न है. संविधान इन अधिकारों की निशानदेही कर राज्य को बताता है कि वह व्यक्ति के जीवन में कहां हस्तक्षेप नहीं कर सकता.