‘नेता पुल बनवा देंगे कहकर वोट ले जाते हैं और हम वहीं के वहीं रह जाते हैं’

ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी-बिहार सीमा पर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के गंडक नदी के किनारे बसे आखिरी धूमनगर गांव के कुछ टोले केवल नावों के सहारे जुड़े हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से पुल बनाने की मांग उठने के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई सुनवाई नहीं है.

बिहार चुनाव: ‘हमरे दुख में केहू नाहीं आइल, वोट मांगे के मुंह केहू के ना बा’

ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम चंपारण ज़िले के लक्ष्मीपुर रमपुरवा गांव के सीमाई पांच टोले के पांच सौ से अधिक ग्रामीण गंडक नदी की बाढ़ और कटान से हुई व्यापक तबाही के बाद फिर से ज़िंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में लगे हैं. अस्तित्व के संकट जूझ रहे इन टोलों में चुनावी कोलाहल की गूंज नहीं पहुंची है.

‘नेता लोग हवाई जहाज से बैठ के देखता है, उ लोग को नाव में आके देखना चाहिए कि हम किस हाल में हैं’

ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना वायरस का केंद्र बनकर उभर रहे बिहार के कई इलाके बाढ़ के ख़तरे से भी जूझ रहे हैं. उत्तर बिहार के लगभग सभी ज़िले बाढ़ की चपेट में हैं और लाखों की आबादी प्रभावित है. लेकिन पानी में डूबे गांव-घरों में जैसे-तैसे गुज़ारा कर रहे लोगों को मदद देना तो दूर, सरकार उनकी सुध ही नहीं ले रही है.

बिहार: आठ साल में बनकर तैयार पुल का एक हिस्सा उद्घाटन के महीनेभर बाद ढहा

​गोपालगंज को पूर्वी चंपारण ज़िले से जोड़ने वाले सत्तारघाट महासेतु का उद्घाटन बीते 16 जून को हुआ है. बिहार सरकार ने इस घटना को फेक न्यूज़ बताते हुए कहा है कि पुल सुरक्षित है. मुख्य पुल से दो किलोमीटर दूर एक सड़क क्षतिग्रस्त हुई है.