‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मामला बंद किया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि 'चौकीदार चोर है'. उनकी इसी टिप्पणी के खिलाफ मानहानि याचिका दायर की गई थी.

म्यांमार: रोहिंग्या मुस्लिमों पर रिपोर्टिंग के कारण सज़ा काट रहे रॉयटर्स के दो पत्रकार रिहा

म्यांमार के रखाइन में सैन्य कार्रवाई के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचारों की रिपोर्टिंग करते हुए 32 वर्षीय वा लोन और 28 वर्षीय क्याव सोए ओ को सरकारी गोपनीयता क़ानून तोड़ने के लिए पिछले साल सितंबर में सात-सात साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी.

ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट में बदलाव की ज़रूरतः हामिद अंसारी

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शनिवार को ‘बीजी वर्गीज स्मृति व्याख्यान’ में प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और तटस्थता का हवाला देते हुए कहा कि ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के प्रावधान मौजूदा समय के अनुकूल नहीं है.

हम भी भारत: रफाल पर पत्रकारों को धमकी, क्या छिपा रही है मोदी सरकार?

इस हफ्ते हम भी भारत में रफाल मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा द हिंदू की रिपोर्ट को चोरी के दस्तावेज़ के हवाले से छापने के आरोप और अख़बार पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की बात पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और वकील सरीम नावेद से चर्चा कर रही हैं.

सरकार की मीडिया के ख़िलाफ़ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के इस्तेमाल की कोशिश निंदनीय: मीडिया संगठन

रफाल मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा द हिंदू की रिपोर्ट को चोरी के दस्तावेज़ के हवाले से छापने के आरोप और अख़बार पर कार्रवाई की बात कहने की एडिटर्स गिल्ड समेत विभिन्न प्रेस संगठनों ने आलोचना की है.

रफाल की फाइल पर सीक्रेट का तर्क बोगस है, जैसे चौकीदार का जागते रहो कहना बोगस है

सीक्रेट आउट होने पर ही घोटाला आउट होता है. घोटाला आउट होने पर फाइल को सीक्रेट बताने का फार्मूला पहली बार आउट हुआ है. प्रधानमंत्री को हर बात में ख़ुद को चौकीदार नहीं कहना चाहिए. ख़ुद को चौकीदार और प्रधान सेवक कहते-कहते भूल गए हैं कि वे भारत के प्रधानमंत्री हैं, इसलिए जागते रहो, जागते रहो बोलकर कुछ भी बोल जाते हैं.

म्यांमार में रॉयटर्स के दो पत्रकारों को 7 साल की सज़ा

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इन पत्रकारों को पिछले साल 12 दिसंबर को हिरासत में लिया गया था. उस समय वे म्यांमार के रखाइन प्रांत के एक गांव में रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या और सेना व पुलिस द्वारा किए गए अपराधों की जांच कर रहे थे.