गुजरात के कुछ लोग गाय के गोबर और मूत्र के शरीर पर लेप के लिए सप्ताह में एक बार गौ आश्रमों में जा रहे हैं. उनका ऐसा मानना है कि यह उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा या कोविड-19 से उबरने में मदद करेगा. हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है.
योगी सरकार का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब भारत के अधिकांश राज्यों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी कोविड-19 संक्रमितों की बढ़ती संख्या और चिकित्सा आपूर्ति की कमी से पीड़ित है और राज्य की चिकित्सा सुविधा पर सवाल उठ रहे हैं.
केंद्र सरकार ने बीते पांच जनवरी को घोषणा की थी कि गाय की देसी नस्ल और इसके फायदे के बारे में रुचि पैदा करने की कोशिश के तहत 25 फरवरी को गौ-विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. इस परीक्षा की यह कहते हुए आलोचना की जा रही थी कि यह अंधविश्वास फैलाने और देश में शिक्षा क्षेत्र का भगवाकरण करने की कोशिश है.
ग्राउंड रिपोर्ट: केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों में दावा किया गया है कि इससे किसानों को नया कृषि बाज़ार मिलेगा, वहां वे मनमुताबिक़ फसल बेच सकेंगे. हालांकि बुंदेलखंड के किसानों का कहना है कि क़ानून से क्या होगा, जब आवारा जानवरों के बर्बाद कर देने के कारण बेचने को फसल ही नहीं बचेगी.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग आम लोगों में देसी गायों के बारे में रुचि पैदा करने के लिए छात्रों और नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन गौ विज्ञान परीक्षा आयोजित करेगा. इसके लिए जारी पाठ्यक्रम में आयोग ने देसी-विदेशी गायों में अंतर बताते हुए अजीब दावे किए हैं.
जनवरी 2019 में प्रदेश सरकार ने आवारा गायों की देखभाल के लिए अस्थायी गोशालाएं स्थापित की थीं. अब बांदा ज़िले के कई पंचायत प्रमुखों ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि अप्रैल 2020 के बाद से उन्हें गो कल्याण के लिए कोई फंड नहीं दिया गया है, जिसके कारण कई पशुओं की भूख से मौत हुई हैं.
मामला बिलासपुर ज़िले का है. ज़िला कलेक्टर ने बताया कि गांव के पुराने पंचायत भवन में लगभग 60 गायों को बंद करके रखा गया था. दुर्गंध फैलने पर जब कमरा खोला गया, तब 43 गायों की मौत हो चुकी थी.
छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जारी राशन कार्डों (एपीएल श्रेणी को छोड़कर) पर पांच किलोग्राम चावल प्रति व्यक्ति प्रतिमाह और एक किलो चना प्रति कार्ड प्रतिमाह जुलाई से नवंबर 2020 तक निःशुल्क वितरण किए जाने का निर्णय लिया गया है.
पुलिस ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता ने दावा किया था कि गोमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है और पहले से संक्रमित लोग भी इससे ठीक हो जाएंगे. हालांकि गोमूत्र के सेवन के बाद एक स्वयंसेवी ही बीमार पड़ गया था.
गोशाला में गाय को गोद लेने की लागत न्यूनतम 15 दिनों के लिए 1,100 रुपये है और अधिकतम जीवनभर के लिए 3 लाख रुपये है.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, गोमूत्र का उपयोग कई प्रकार की दवाओं को बनाने में किया जाता है. इसका उपयोग कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के इलाज के लिए भी किया जाता है. आयुष मंत्रालय इस पर गंभीरता से काम कर रहा है.
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता मलयाली निर्देशक प्रियनंदन ने फेसबुक पर केरल स्थित सबरीमला मंदिर को लेकर एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी. विवाद के बाद उन्होंने यह पोस्ट हटा दिया था.
गुजरात गोसेवा आयोग अध्यक्ष वल्लभ कथीरिया के अनुसार गो पर्यटन गायों को रखने के आर्थिक लाभों को समझने की दिशा में एक कदम है.
गोसंरक्षण समितियां गोशालाओं का सुचारु संचालन सुनिश्चित करेंगी और बायोगैस, कम्पोस्ट, पंचगव्य से बनाए जाने वाले पदार्थों आदि के उत्पादन-विक्रय में सहायता प्रदान करेंगी.
कृषि राज्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में गोमूत्र से फेशियल और अन्य सौंदर्य उत्पाद मसलन बनाने पर भी विचार किया गया.