गोंडा की घटना बताती है कि सांप्रदायिकता का ज़हर अब गांवों में भी फैल रहा है

पिछले दो-तीन दशकों में ‘सांप्रदायिक चेतना का ग्रामीणीकरण’ हुआ है. परंपरागत भारतीय समाज में हमारे बुज़ुर्गों ने सांप्रदायिकता से निपटने के लिए अपनी एक प्रणाली विकसित की थी.