क्या सामाजिक आंदोलन बाज़ार के लिए उत्पाद बेचने का नया हथियार हैं?

सार्वजनिक तौर पर ‘लोक-कल्याणकारी मकसदों’ की हिमायत करके फायदा कमाने वाली कंपनियां अपने कामों के दौरान अक्सर ढिठाई से मानवाधिकारों का उल्लंघन करती पायी जाती हैं.