‘इस्पाती ढांचा’ ढहने के गवाह थे पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमणियन

आईएएस जैसी प्रतिष्ठित सेवा पर राजनीतिक दबावों, सेवा में फैलते भ्रष्टाचार और नेताओं की जी-हुज़ूरी की प्रवृत्ति तथा इस सेवा के आम जनता से विमुख होने के ख़िलाफ़ टीएसआर सुब्रमणियन अंतिम समय तक लड़ते रहे.