हंसो-हंसो, वज़ीर-ए-आज़म, खूब हंसो…

बीते दिनों आईआईटी रूड़की के एक कार्यक्रम में डिस्लेक्सिया को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हंसी राष्ट्रीय रोष का सबब बनी.

मोदी समर्थकों को उनकी जुमलेबाज़ी या किसी की खिल्ली उड़ाने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता

प्रधानमंत्री के यहां-वहां किए गए मज़ाक या तंज़ से अगली कतार में बैठने वालों को हंसाया तो जा सकता है, लेकिन चुनावों में इसका कोई फायदा नहीं होने वाला.

मोदी पर डिस्लेक्सिया पीड़ितों का मज़ाक उड़ाने का आरोप

विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए काम करने वाले संगठन 'नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड' ने डिस्लेक्सिया पीड़ितों के लिए असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की है.