‘टू मच डेमोक्रेसी’ में जनता कहां है

जैसे आर्थिक नीतियों को देशवासियों के बजाय कॉरपोरेट के लिए उदार बनाने की प्रक्रिया को उदारवाद का नाम दिया गया और देश के संसाधनों की लूट की खुली छूट देने को विकास के लिए सुधार कहा जाता है, क्या वैसे ही अब सारी अलोकतांत्रिकताओं को लोकतंत्र कहा जाने लगेगा?

नीति आयोग सीईओ बोले, देश में ‘अधिक लोकतंत्र’, बाद में कहा- नहीं दिया ऐसा बयान

एक ऑनलाइन कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में कड़े सुधार नहीं ला सकते क्योंकि यहां ‘बहुत ज़्यादा लोकतंत्र’ है. उनके इस बयान से मुकरने के बाद कुछ मीडिया संस्थानों ने इस बारे में प्रकाशित की गई ख़बर हटा ली, हालांकि सामने आए कुछ वीडियो में वे ऐसा कहते नज़र आ रहे हैं.