जॉर्ज फ्लॉयड हत्या के मामले पुलिसकर्मी डेरेक चॉविन दोषी क़रार

पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. इस दौरान फ्लॉयड बार-बार कहते रहे थे कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माना. फ्लॉयड की निर्मम मौत से देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.

भारत में आम नागरिकों के साथ होने वाले पुलिसिया अत्याचार सामूहिक आक्रोश की वजह क्यों नहीं हैं?

पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.

अमेरिका में चल रहा विरोध प्रदर्शन भारतवासियों के लिए आईना है और चुनौती भी

जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.

अमेरिका में ब्लैक लोगों का प्रदर्शन, भारत में अल्पसंख्यकों को इंसाफ़ कब?

वीडियो: बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

अश्वेत की ह​त्या: हिंसा की चपेट में अमेरिका, 40 शहरों में कर्फ्यू और हज़ारों गिरफ्तार

बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

अमेरिका: अश्वेत की हत्या का आरोपी पुलिसकर्मी गिरफ़्तार, हिंसक प्रदर्शनों में एक की मौत

बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड के गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन द्वारा आठ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. फ्लॉयड की मौत के विरोध में अमेरिका के कई शहरों लॉकडाउन के बीच हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

निदो तानिया मामले के एक दोषी को दिल्ली हाईकोर्ट से ज़मानत मिली

2014 में अरुणाचल प्रदेश के एक पूर्व विधायक के बीस वर्षीय बेटे निदो की दिल्ली में हत्या कर दी गई थी, जिसके चार आरोपियों को बीते साल सितंबर में दोषी मानते हुए दस और सात साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.

कोरोना कहकर मणिपुरी युवती को पीटने के मामले में हरियाणा सरकार और पुलिस को एनएचआरसी का नोटिस

इससे पहले बीते मार्च महीने में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की पढ़ाई कर रहीं मणिपुर की ही छात्रा को ‘कोरोना’ कहकर उन पर थूका गया था. इसके बाद अप्रैल महीने में मुंबई के सांताक्रूज इलाके में एक बाइक सवार मणिपुर की ही युवती पर थूककर भाग निकला था.

एक दौर में फेक न्यूज़ के सहारे हिंदुओं को बीमारी फैलाने का ज़िम्मेदार ठहराया गया था

अमेरिकी इतिहास से जुड़ा एक पन्ना बताता है कि मीडिया और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग द्वारा समर्थित जातिवादी और सांप्रदायिक ज़हर लंबे समय से राजनीति का खाद-पानी है.

क्या गांधी नस्लवादी थे?

उम्र के दूसरे दशक में गांधी निस्संदेह एक नस्लवादी थे. वे सभ्यताओं के पदानुक्रम यानी ऊंच-नीच में यक़ीन करते थे, जिसमें यूरोपीय शीर्ष पर थे, भारतीय उनके नीचे और अफ्रीकी सबसे निचले स्थान पर. लेकिन उम्र के तीसरे दशक तक पहुंचते-पहुंचते उनकी टिप्पणियों में अफ्रीकियों के भारतीयों से हीन होने का भाव ख़त्म होता गया.

भारत में मुझे कई बार नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा: मिज़ोरम मुख्यमंत्री

पांचवीं बार मिज़ोरम के मुख्यमंत्री बने लल थनहवला का कहना है कि यह सिर्फ आम लोगों की बात नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे राजनेता सभी पार्टियों में है जिन्हें भारतीयता की समझ नहीं है.