पुडुचेरी विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित

पुडुचेरी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. इससे पहले केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.

मध्य प्रदेश ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया, ऐसा करने वाला पांचवां राज्य

मध्य प्रदेश की सरकार ने विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के प्रस्ताव पारित करते हुए इसे भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंघन बताया. इससे पहले केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करने वाला पश्चिम बंगाल बना चौथा राज्य

पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से इस क़ानून को रद्द करने के साथ एनआरसी को क्रियान्वित करने और एनपीआर को अपडेट करने की योजनाओं को निरस्त करने की भी अपील की गई है. इससे पहले केरल, पंजाब और राजस्थान में इस विवादास्पद क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.

केरल, पंजाब के बाद राजस्थान विधानसभा में भी नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित

राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र सरकार से इस कानून को रद्द करने का आग्रह किया है. इस दौरान विधानसभा में भाजपा के कई नेताओं ने नागरिकता कानून के पक्ष में नारेबाजी की.

केरल के बाद पंजाब विधानसभा में भी नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित

सत्तारूढ़ कांग्रेस ने विधानसभा में इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून असंवैधानिक है और इसे ख़त्म किया जाना चाहिए. संसद में इसके पक्ष में मतदान करने वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.