नंदकिशोर नवल: शेष है साहित्य ही

मेरा जीवन क्षणिक है, मैं इस अनंत में एक कण हूं लेकिन मैं हूं और मेरे होने का अर्थ है, अपने बारे में यह नवलजी का विश्वास था और इसका प्रमाण वे तमाम प्रकाशित और अप्रकाशित कृतियां हैं, जिनमें वे जीवित हैं.

नंदकिशोर नवल: रचना के संसार ने अपना एक पुराना मित्र खो दिया…

विचारधारा की जकड़न से विचारों की स्वतंत्रता की नवल जी की यात्रा कष्टसाध्य रही. उन्हें ख़ुद को ही कई जगह अस्वीकार करना पड़ा. लेकिन चूंकि उनकी प्रतिबद्धता रचनाकार से भी आगे बढ़कर रचना से थी, और विचारधारा से तो कतई नहीं, सो उन्हें ख़ुद को बदलने में संकोच नहीं हुआ.

बिहार के विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के भविष्य से क्यों किया जा रहा है खिलवाड़?

ज्ञान की जब भी चर्चा होती है तो वो बिहार के ऐतिहासिक नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय का ज़िक्र किए बिना पूरी नहीं होती, लेकिन उसी बिहार में आज शिक्षा व्यवस्था का हाल ये है कि आधा दर्जन विश्वविद्यालयों में विभिन्न सत्रों की परीक्षाएं कई सालों से लटकी हुई हैं.

पटना विश्वविद्यालय: छात्रसंघ चुनाव के नतीजों पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

बीते शनिवार चुनाव परिणाम आने के बाद से ही छात्र अध्यक्ष पद के विजेता के नामांकन में गड़बड़ी और चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

भाजपा के 80 प्रतिशत लोग चाहते थे कि आडवाणी राष्ट्रपति बनें: शत्रुघ्न सिन्हा

14 अक्टूबर को पटना विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शामिल होने वाले हैं, लेकिन पटना से चार बार सांसद रहे सिन्हा को नहीं बुलाया गया.