एनजीओ ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट’ द्वारा संचालित जमशेदपुर ज़िले के एक बाल आश्रय गृह की दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों ने संचालक समेत अन्य पर यौन उत्पीड़न सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. आश्रय गृह से 40 बच्चों को जमशेदपुर के ही दूसरे आश्रय गृह में भेजे जाने के दौरान उनमें से दो बच्चियां लापता हो गई थीं. इनका अब तक पता नहीं लग सका है.
मामला जमशेदपुर ज़िले के राज्य पंजीकृत महिला आश्रयगृह का है, जहां दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों ने संचालक समेत अन्य पर चार सालों से यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पुलिस के अनुसार, मामले में एफआईआर दर्ज हो गई है और आश्रयगृह के बच्चों को स्थानांतरित किया जा रहा है.
साल 2018 में उत्तर प्रदेश के देवरिया और बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बाल गृहों में यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद सरकार ने देश के सभी बाल गृहों की सामाजिक ऑडिट करने का आदेश दिया था. ऑडिट किए गए 7,163 बाल गृहों में से 1,504 में अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है, जबकि 434 के शौचालयों और स्नानगृह में निजता की व्यवस्था नहीं है.
कानपुर पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान पुरुष औरतों को नारेबाज़ी के लिए भड़का सकते हैं या फिर क़ानून व्यवस्था भंग कर सकते हैं. इसलिए नोटिस भेजकर बॉन्ड की राशि भरने को कहा गया है. लखनऊ के घंटाघर में धरनास्थल से बच्चों को हटाने का निर्देश. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोग पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं.
राजस्थान के चूड़ी कारख़ानों से दिसंबर 2017 से नवंबर 2018 के बीच में मुक्त कराए गए ये सभी बच्चे बिहार से हैं.