पॉक्सो के तहत दर्ज एफ़आईआर को समझौते के बाद ख़ारिज नहीं किया जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें बालिग होने के बाद पीड़ित और आरोपी ने समझौता करने का फ़ैसला किया था. पीठ ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज अपराध को ख़ारिज करना क़ानून की उस भावना के विपरीत होगा, जो कि बच्चों की सुरक्षा के लिए पारित किया गया था.

यूपी: मुज़फ़्फ़रनगर के मठ से 10 बच्चों को छुड़ाया गया, चार के यौन शोषण की पुष्टि

मामला मुज़फ़्फ़रनगर के शुक्रताल के गौड़ीय मठ का है, जहां बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार की शिकायत पर पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने दस नाबालिगों को मुक्त कराया था. बच्चों ने आश्रम के प्रबंधक भक्ति भूषण महाराज पर शराब पिलाने के बाद अश्लील वीडियो दिखाकर यौन शोषण करने के आरोप लगाए हैं.

मध्य प्रदेश: यौन शोषण के बाद चार साल की बच्ची की हत्या

मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का है. पुलिस ने बताया कि बच्ची का शव गांववालों को 29 मई को कुएं में मिला था. पुलिस अधीक्षक ने कहा कि लापरवाही के आरोप में संबंधित थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है.

बच्चों के साथ बलात्कार के दोषियों के लिए खत्म हो दया याचिका का प्रावधान: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्होंने पोक्सो के तहत दोषी ठहराए गए लोगों को दया प्रावधान की समीक्षा के लिए कहा है. अब यह संसद पर निर्भर करता है क्योंकि इसमें एक संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी.

दिल्ली की 19 अदालतों में पॉक्सो के 7,277 मामले लंबित

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 25 जुलाई को देश के प्रत्येक जिलों में पॉक्सो के तहत मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का निर्देश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बाल यौन शोषण के मामलों के लिए ज़िलों में विशेष अदालतें बनाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये अदालतें उन जिलों में गठित की जाएंगी जहां यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत 100 या इससे अधिक मुक़दमे लंबित हैं. उधर, राज्यसभा में पॉक्सो संशोधन विधेयक पारित. बाल यौन अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने बाल यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मांगी माफी

आॅस्ट्रेलिया में पांच वर्ष तक चली जांच में 8,000 से ज़्यादा ऐसे मामले सामने आए थे जो बाल यौन शोषण से जुड़े हुए थे और ज़्यादातर बच्‍चों का शोषण चर्च या फिर ऐसे राज्य संचालित संस्थानों में हुआ था जिन पर बच्‍चों की सुरक्षा की ज़िम्‍मेदारी थी.