तीन तलाक़: मुस्लिम नहीं, पत्नियों को छोड़ देने वाले सभी पतियों को अपराध के दायरे में लाना चाहिए

पिछली जनगणना के अनुसार देश में 20 लाख से ज़्यादा महिलाएं अपने पति से अलग रहती हैं, जिन्हें छोड़ा गया है. ऐसा क़ानून आना चाहिए जिससे न केवल मुस्लिम बल्कि इस तरह पत्नियों को छोड़ देने वाले सभी पतियों को सज़ा मिल सके.

छोड़ी गई औरतों की संख्या तीन तलाक़ पीड़िताओं से ज़्यादा, मोदी उनके लिए भी बोलें

पतियों द्वारा एक़तरफा तरीके से छोड़ी गई हर औरत की ज़िंदगी दयनीय है. पिछली जनगणना के अनुसार भारत में कुल 23 लाख परित्यक्त औरतें हैं, जो तलाक़शुदा औरतों की संख्या के दोगुने से ज़्यादा है.

तीन तलाक़ विधेयक: क्या इसे सिर्फ़ इसलिए ठुकरा दिया जाए कि यह भाजपा सरकार की पहल का नतीजा है?

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सहसंस्थापक ज़किया सोमन कहती हैं कि जो तीन तलाक़ क़ानून का विरोध कर रहे हैं, शायद वे पीड़ित महिलाओं की हालत से वाकिफ़ नहीं हैं.

‘तीन तलाक़ को सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए’

मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं ने कहा, प्रस्तावित क़ानून में तीन तलाक़ के साथ निकाह, हलाला और बहुविवाह भी शामिल हो. सभी दल मिलकर मुस्लिम महिलाओं के मुद्दों का समाधान करें.

तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी ने बताया ऐतिहासिक

कांग्रेस ने भी शीर्ष अदालत केे फैसले का स्वागत किया और कहा कि भेदभाव को दूर करने और महिलाओं का अधिकार बहाल करने की दिशा में यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा.

शाहबानो का गला घोंटा गया तब सेकुलरिज़्म ख़तरे में नहीं आया था?

अब तक तीन तलाक़, हलाला, मुता निक़ाह जैसी कुप्रथाएं चली आ रही हैं. उनके ख़िलाफ़ आपने कभी आवाज़ नहीं उठाई. जब प्रताड़ित मुस्लिम औरतें ख़ुद बाहर निकलीं तो सेक्यु​लरिज़्म याद आ रहा है!

वीडियो: तीन तलाक़ और मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मसलों पर ज़किया सोमन से बातचीत

तीन तलाक़ और मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मसलों पर भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (#BMMA) की संस्थापक ज़किया सोमन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

तीन तलाक़ ख़त्म करने के लिए 18 महीने क्यों चाहिए: बीएमएमए

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सदस्य ने 18 महीने तीन तलाक़ की प्रथा ख़त्म करने की बात कही है. बीएमएमए ने पूछा अभी क्यों नहीं ख़त्म किया जा सकता तीन तलाक़?

मुस्लिम महिलाएं सम्मान से जी सकें इसके लिए विवाह कानून लागू हो: बीएमएमए

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने तीन तलाक़ की व्यवस्था ख़त्म करने और पर्सनल लॉ में सुधार की ज़रूरत को महत्वपूर्ण बताया है.