वर्ष 2020-21 के नौ महीनों में बैंकों ने 1.15 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाला: सरकार

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19, और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान क्रमश: 2.36 लाख करोड़ रुपये और 2.34 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है. ऐसे ऋण जिसकी वसूली नहीं हो पाती है, बैंक उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं.

उत्तर प्रदेश: कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान किसान ने फांसी लगाई

उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर ज़िले का मामला. परिजनों के मुताबिक किसान पर बैंक का 70 हजार रुपये क़र्ज़ था और वह आर्थिक तंगी से परेशान थे.

केरल: बैंक का कर्ज़ चुका पाने में नाकाम होने पर मां-बेटी ने आग लगाकर दे दी जान

यह मामला तिरुवनंतपुरम के नेयाटिनकारा का है. सात लाख का क़र्ज़ न चुका पाने और घर की कुर्की के डर से मंगलवार को मां-बेटी ने करोसिन डालकर ख़ुद को आग लगा ली थी.

बीते दस सालों में सात लाख करोड़ का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला गया, 80% मोदी सरकार में हुआ

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.

जीडीपी विकास के नए आंकड़ों पर भरोसा करना क्यों मुश्किल है

अर्थशास्त्र का नियम है कि ज़्यादा निवेश, बढ़ी हुई जीडीपी का कारण बनता है, ऐसे में निवेश-जीडीपी अनुपात में कमी आने के बावजूद जीडीपी में बढ़ोतरी कैसे हो सकती है?

​सरकारी और निजी बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 में 1.44 लाख करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले

बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज़्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.

स्टेट बैंक ने 20 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला

वित्त वर्ष 2016-17 में हज़ार करोड़ से ऊपर की राशि बट्टे खाते में डालने वाले स्टेट बैंक ने अप्रैल से नवंबर 2017 के बीच न्यूनतम बैलेंस न रखने पर आम ग्राहकों से 1,771 करोड़ का जुर्माना वसूला था.

कॉरपोरेट की क़र्ज़माफ़ी से विकास होता है, किसानों की क़र्ज़माफ़ी विकास-विरोधी है

भाषणों में पूरी राजनीति और सरकार किसानों-ग़रीबों को समर्पित है लेकिन किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य से भी कम पर बेचने को मजबूर है.

नोटबंदी पर जश्न का दिन भी किसानों के लिए मौत का दिन था

मध्य प्रदेश में दो, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब में एक-एक किसानों ने की आत्महत्या, महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 2,414 किसानों ने आत्महत्या की.