पीडीपी से हाथ मिलाने वाली भाजपा को कन्हैया की आलोचना करने का अधिकार नहीं: शिवसेना

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा, 'कन्हैया कुमार अच्छे वक्ता हैं. वह बागी और बेरोजगार युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. भाजपा को कन्हैया कुमार की निंदा करने का क्या नैतिक अधिकार है?'

भाजपा से गठबंधन करके ज़हर का प्याला पिया: महबूबा मुफ़्ती

पीडीपी के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर महबूबा ने कहा कि राज्य में ख़ून-खराबा रोकने की ख़ातिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान ख़ान की ओर से बढ़ाया गया दोस्ती का हाथ कबूल करें.

राजग सरकार ने घाटी में आतंकवाद और हिंसा को दोबारा उभरने का मौका दिया: उमर अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवादियों के मारे जाने की संख्या में बढ़ोतरी उपलब्धि नहीं. इससे पहले कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि एक आतंकी को मारने के लिए 13 नागरिकों को मार दिया जाता है.

कश्मीर में गठबंधन तोड़ने के पीछे भाजपा जो कारण बता रही है वह कितना सही है?

अगर जम्मू कश्मीर में तीन साल के भाजपा-पीडीपी गठबंधन का हासिल यह है कि वहां कट्टरपंथ, आतंक और हिंसा का राज हो गया है तो अब राज्यपाल शासन में, जो कायदे से मोदी सरकार का ही शासन होगा, कौन सा चमत्कार हो जाएगा.

जन गण मन की बात, एपिसोड 261: जम्मू कश्मीर में सियासी संकट और पानी की कमी

जन गण मन की बात की 261वीं कड़ी में विनोद दुआ जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने और पानी की कमी पर नीति आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.

जम्मू कश्मीर में नोटबंदी से जो आतंकवाद ख़त्म हुआ था, उसी के चलते गठबंधन ख़त्म हो गया

प्रधानमंत्री दर्जनों बार कश्मीर जा चुके हैं. वे जब भी गए योजनाओं और विकास पर बात करते रहे. कश्मीर मसले को उन्होंने सौर ऊर्जा प्लांट और हाइड्रो प्लांट के शिलान्यास तक सीमित कर दिया. उनकी कश्मीर नीति क्या है, कोई नहीं जानता.

अमरनाथ बनाम जुनैद: ‘थ्री मिस्टेक्स’ आॅफ चेतन भगत

किसी एक त्रासदी के पीड़ितों को दूसरी त्रासदी के पीड़ितों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना हद दर्जे का ओछापन है, जहां पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की बजाय राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगती हैं.

किसी भी तरह के उकसावे पर सैन्य बलों को ग़ैर-क़ानूनी तरीकों का सहारा नहीं लेना चाहिए

सरकार के हिंसा पर एकाधिकार को तब ही स्वीकार किया जा सकता है जब वह क़ानून के दायरे में हो; अगर ऐसा नहीं है तब कोई उसके इस एकाधिकार को तोड़ता है तो उसे ग़लत नहीं ठहराया जा सकता.