बलात्कार हर देश में होते हैं पर सिर्फ हमारे यहां पीड़िता को इसका दोष दिया जाता है: निर्मला बनर्जी

साक्षात्कार: महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों, सीमित किए जा रहे अधिकारों के बीच उनसे संबंधित मुद्दों पर बात करने की ज़रूरत और बढ़ गई है. देश में महिलाओं की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर बीते पांच दशकों से महिला आंदोलनों का हिस्सा रहीं वरिष्ठ अर्थशास्त्री निर्मला बनर्जी से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.

आज़ाद औरत का चेहरा अमृता प्रीतम

वीडियो: एक आज़ाद औरत का चेहरा बीते कल से आज तक कितना बदल पाया है, इसी मुद्दे पर अमृता प्रीतम के हवाले से वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन के साथ दामिनी यादव की एक ख़ास बातचीत.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसः प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान को आठ साल की कार्यकर्ता ने ठुकराया

जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने कहा कि अगर सरकार मेरी आवाज़ नहीं सुन सकती तो आप मुझे इसमें शामिल नहीं करें. मुझे अन्य प्रेणादायक महिलाओं के साथ शामिल करने के लिए शुक्रिया लेकिन मैंने इस सम्मान को अस्वीकार करने का फैसला किया है.

क्या हैं अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के सही मायने?

वीडियो: अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय महिलाएं बता रहीं हैं कि उनके लिए इस दिन का क्या मतलब है. बीते साल आए विभिन्न कोर्ट के फ़ैसलों को और महिला आंदोलनों को नारीवाद की दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है.

‘जितनी विविधता देश में है, उतनी ही विविधता महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों में भी है’

भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर लंबे समय से रिपोर्टिंग और बलात्कार की घटनाओं पर ‘नो नेशन फॉर वीमेन’ किताब लिखने वाली पत्रकार और लेखक प्रियंका दुबे से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

महिलाओं को आरक्षण देना उनकी क्षमताओं को नज़रअंदाज़ करना है: जस्टिस इंदिरा बनर्जी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि वे मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को ठीक नहीं मानतीं, इसके चलते उन्हें कई बार अप्रिय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा.

औरत का मुसलमान होना भी औरत होने की तरह ही ख़तरनाक है…

औरत सिर्फ़ औरत हो तो शायद उसके हिस्से का अज़ाब कट जाए, लेकिन वो औरत के साथ मुसलमान भी हो तो अपने अज़ाब के साथ कटती ही नहीं, मरती है और मरती रहती है.

क्यों महिलाओं की आर्थिक-राजनीतिक अधिकारों की लड़ाई बाज़ार के डिस्काउंट तक सिमट गई है?

अंतरराष्ट्रीय ‘श्रमजीवी’ महिला दिवस से श्रमजीवी शब्द को हटाना मज़दूर महिलाओं के संघर्ष और इस दिन के इतिहास के महत्व को कम करता है.