राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे गए पत्र में शिक्षक संघ ने लिखा है कि वॉट्सऐप से इम्तिहान लेने के प्रशासन के फ़ैसले से जेएनयू दुनिया भर के अकादमिक जगत में मज़ाक का पात्र बन जाएगा.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में मानव संसाधन और विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि साल 2018-19 में देश के 26 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में हैं.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पहले मसौदे में हिंदी थोपने की कथित कोशिश पर मचे हंगामे को देखते हुए एक बात साफ है कि इस हो-हल्ले का हिंदी से कोई वास्ता नहीं है. हिंदी थोपने या ख़ारिज करने की इच्छा का संबंध हिंदी राष्ट्रवाद, धर्म, जाति और अंग्रेज़ी से एक असहज जुड़ाव जैसी बातों से हो सकता है, मगर इसका संबंध उस भाषा से कतई नहीं है, जिसका नाम हिंदी है.
नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले को लेकर उठे विवाद के बीच सोमवार को मसौदा नीति का संशोधित प्रारूप जारी किया गया, जिसमें ग़ैर-हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी अनिवार्य किए जाने का उल्लेख नहीं है.
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद ने उर्दू के प्रमोशन के लिए बॉलीवुड के कलाकारों से प्रचार करवाने की बात कही. हालांकि बजट से मालामाल परिषद पर अक्सर यह इल्ज़ाम लगता रहा है कि हाल के सालों में इसने उर्दू भाषा के विकास में कोई अहम रोल अदा नहीं किया.
देश के सरकारी स्कूलों में दस लाख शिक्षक नहीं हैं. कॉलेजों में एक लाख से अधिक शिक्षकों की कमी बताई जाती है. सरकारी स्कूलों में आठवीं के बच्चे तीसरी की किताब नहीं पढ़ पाते हैं. ज़ाहिर है वे तनाव से गुज़रेंगे क्योंकि इसके ज़िम्मेदार बच्चे नहीं, वो सिस्टम है जिसे पढ़ाने का काम दिया गया है.
सीसीएस जैसे क़ानूनों का उद्देश्य उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को ही ध्वस्त कर देना है. उच्च शिक्षा में विकास तब तक संभव नहीं है जब तक विचारों के आदान-प्रदान की आज़ादी नहीं हो. अगर इन संस्थाओं की ये भूमिका ही समाप्त हो जाए तो उच्च शिक्षा की आवश्यकता ही क्या रहेगी? शिक्षक और शोधार्थी सरकारी कर्मचारी की तरह व्यवहार नहीं कर सकते.
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा एमए के पाठ्यक्रम से दलित लेखक और चिंतक कांचा इलैया शेपहर्ड की किताब हटाने के प्रस्ताव पर उनका कहना है कि विश्वविद्यालय अलग-अलग विचारों को पढ़ाने, उन पर चर्चा करने के लिए होते हैं, वहां सौ तरह के विचारों पर बात होनी चाहिए. विश्वविद्यालय कोई धार्मिक संस्थान नहीं हैं, जहां एक ही तरह के धार्मिक विचार पढ़ाए जाएं.