तीन सालों में 131 आत्महत्याओं के बाद सीआरपीएफ ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी वर्कशॉप शुरू की

सीआरपीएफ ने पहली बार मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे जवानों की मदद के लिए कदम उठाया है. बताया गया है कि यहां जवानों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को अच्छी तरह समझ पाएं और परिवार एवं फोर्स के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर पाएं.

बीते क़रीब तीन साल में हर 35 दिन में दिल्ली पुलिस के एक कर्मचारी ने ख़ुदकुशी की: आरटीआई

समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा आरटीआई के तहत दायर आवेदन के जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि जनवरी 2017 से 30 जून 2020 तक दिल्ली के 37 कर्मचारियों और अधिकारियों ने आत्महत्या की है. पिछले 42 महीनों में 14 कर्मचारियों ने ड्यूटी के दौरान जान दी, जबकि 23 कर्मचारियों ने ‘ऑफ ड्यूटी’ आत्महत्या की.

भारत के बड़े मेडिकल संस्थानों में आत्महत्या से रोकथाम की व्यवस्थाएं नहीं: आरटीआई

आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज़ाहिर की जा रही चिंताओं के बीच एक आरटीआई के जवाब में पता चला है कि डब्ल्यूएचओ और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद देश के कुछ बड़े मेडिकल संस्थानों में आत्महत्या या इसके प्रयासों को रोकने की कोई महत्वपूर्ण रणनीति नहीं है.

कोरोना: महामारी के दौर में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी ज़रूरी है

संक्रामक रोगों का सभी पर एक गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, उन पर भी जो वायरस से प्रभावित नहीं हैं. इन बीमारियों को लेकर हमारी प्रतिक्रिया मेडिकल ज्ञान पर आधारित न होकर हमारी सामाजिक समझ से भी संचालित होती है.

मानसिक बीमारी से प्रभावित 90 प्रतिशत मरीज चिकित्सा सुविधा से वंचित हैं: राष्ट्रपति

भारत में क़रीब 14% लोगों को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की ज़रूरत है. क़रीब 2% लोग गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त हैं. क़रीब 2 लाख लोग आत्महत्या जैसे क़दम उठाते हैं.

‘विश्व के कुल मनोरोगियों का 15% भारत में है’

आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है. देश की कुल आबादी के 9 फ़ीसदी लोग दिमाग़ी मरीज़ हैं. भारत में 66 हज़ार से ज़्यादा मनोचिकित्सक चाहिए, पर हैं लगभग 4000. ऐसे में बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना सबसे ज़रूरी है.

मानसिक रोग से उबर चुके लोगों का पुनर्वास सुनिश्चित करे सरकार: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने कहा कि ठीक होने के बावजूद लोगों को उनके परिवार वाले घर नहीं ले जाते ऐसे में सरकार को उनकी उचित देख-रेख की व्यवस्था करनी चाहिए.