वैशाखनंदन शब्द की उत्पति पर दर्जनों पोस्ट लिखकर ‘गधा विमर्श’ का ऐसा माहौल बना दिया गया है गोया जो वैशाखनंदन न समझ पाए वो भी उन्हीं के उत्तराधिकारी हैं.
‘जुमला जयंती पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन’ वाक्य में व्यंग्य अवश्य है, घृणा कतई नहीं.
मृणाल पांडे में बाकी जो भी दुर्गुण हों, वे असभ्य और अशालीन होने के लिए नहीं जानी जातीं. वे किसी रूप में वामपंथी भी नहीं हैं. उन पर बीजेपी विरोधी होने का भी वैसा इल्ज़ाम नहीं रहा है, जैसा दूसरों पर है.