लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के फैसले का मूल्यांकन करना अदालत का काम नहीं: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही 17 साल की लड़की और 20 साल के लड़के को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर भारत में ख़ासकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाएं होती रहती हैं, ऐसे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी राज्य की है.

हाईकोर्ट के लिव-इन संबंध को अस्वीकार्य बताने के बाद शीर्ष अदालत से युवक-युवती को मिली सुरक्षा

पिछले महीने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे युवक-युवती को सुरक्षा देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह नैतिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को ख़ारिज करते हुए पुलिस से याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा देने को कहा है.

लिव-इन रिलेशनशिप की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही, क़ानून में इस पर प्रतिबंध नहीं: हाईकोर्ट

इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ही दो अन्य पीठों ने लिव-इन रिलेशनशिप के ख़िलाफ़ फैसला दिया था और प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के संबंध सामाजिक और नैतिक रूप से स्वीकार्य नहीं हैं.

लिव-इन रिलेशनशिप नैतिक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का यह रुख़ ऐसे रिश्तों को मान्यता देने वाले उच्चतम न्यायालय के रुख़ से अलग है. उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मई 2018 में कहा था कि वयस्क जोड़े को शादी के बगैर भी साथ रहने का अधिकार है. न्यायालय ने कहा था कि एक महिला चुन सकती है कि वह किसके साथ रहना चाहती है.

लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चे को विवाहित दंपति के बच्चे जैसा माना जाएः केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट उस मामले को सुन रहा था, जहां लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक महिला ने अपने साथी से संबंध ख़त्म होने पर अपने बच्चे को गोद दे दिया था, पर अब दोबारा बच्चे को हासिल करना चाहती थीं. अदालत ने कहा कि जैविक माता-पिता का अधिकार एक स्वाभाविक अधिकार है.

यदि महिला को लगता है कि वह पुरुष के सहयोग के बिना कुछ नहीं, तो यह सिस्टम की नाकामी: कोर्ट

केरल हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उस मामले पर आई है, जहां लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक महिला ने अपने साथी द्वारा संबंध ख़त्म होने पर अपने बच्चे को गोद दे दिया था. अदालत ने कहा कि वह सिंगल मदर होने के नाते ऐसा करने को विवश थी. राज्य को चाहिए कि वह सिंगल मांओं की मदद के लिए सिस्टम विकसित करे.

शादी की उम्र न होने पर भी बालिग युवक-युवती को साथ जीने का हक़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले युवक-युवती की याचिका पर कहा कि विवाह योग्य उम्र का न होने पर भी बालिग लड़के और लड़की को साथ रहने के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. हर वयस्क को अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीने का अधिकार है.

राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने लिव-इन रिलेशनशिप के ख़िलाफ़ क़ानून बनाने की मांग की

आयोग ने राज्य सरकार से लिव-इन रिलेशनशिप की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने और समाज में महिलाओं के सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए क़ानून बनाने की सिफ़ारिश की है.

शादी की क़ानूनन तय उम्र से पहले साथ रह सकते हैं वयस्क जोड़े: सुप्रीम कोर्ट

केरल के एक जोड़े के मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि दो बालिग अगर शादी करने में सक्षम नहीं हैं, तब भी उनके पास वैवाहिक संबंध के बिना एक साथ रहने का अधिकार है.