180 से अधिक बुद्धिजीवियों का विपक्षी दलों को पत्र, कहा- कोरोना से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाएं

दुनियाभर के 187 प्रख्यात शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, लेखकों, फिल्मकारों ने विपक्षी दलों को पत्र लिखकर कहा है कि इस अप्रत्याशित संकट की घड़ी में अधिकतर राजनीतिक दल लोगों के हित में निष्पक्ष तरीके से काम करने को तैयार हैं. फिर भी भारत सरकार ने न तो इनके सुझावों का स्वागत किया है और न ही सभी दलों, राज्य सरकारों, विशेषज्ञों को साथ लेकर राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है.

सागर सरहदी, जो ताउम्र विभाजन के विषाद और उजड़ जाने का एहसास लिए जीते रहे

स्मृति शेष: सागर सरहदी इस एहसास के साथ जीने की कोशिश करते रहे कि दुनिया को बेहतर बनाना है. मगर अपनी बदनसीबी के सोग में इस द्वंद्व से निकल ही नहीं पाए कि साहित्य और फिल्मों के साथ निजी जीवन में भी एक समय के बाद अपनी याददाश्त को झटककर ख़ुद से नया रिश्ता जोड़ना पड़ता है.

सागर सरहदी: हक़-ए- बंदगी… अदा कर चले

स्मृति शेष: प्रख्यात लेखक-फिल्मकार सागर सरहदी कभी विभाजन से संगत नहीं बैठा पाए. बंबई में बस जाने के बावजूद उनके अंदर का वह शरणार्थी लगातार अपने घर, अपनी जड़ों की तलाश में ही रहा.

प्रख्यात लेखक और शायर शमसुर रहमान फ़ारूक़ी का निधन

पद्मश्री से सम्मानित 85 वर्षीय शमसुर रहमान फ़ारूक़ी हाल ही में कोरोना वायरस संक्रमण से उबरे थे. उन्हें 16वीं सदी में विकसित हुई उर्दू में कहानी सुनाने की कला ‘दास्तानगोई’ को पुनर्जीवित करने के लिए भी जाना जाता है.

विभिन्न भाषाओं के 115 लेखकों ने की बिहार चुनाव में नफ़रत फैलाने वालों के ख़िलाफ़ वोट करने की अपील

देशभर के 115 से अधिक लेखकों-पत्रकारों-कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों ने बिहार चुनाव से पहले मतदाताओं से अपील की है कि वे विकास का ढोल पीटने और नफ़रत फैलाने वाली ताक़तों के ख़िलाफ़ जनता और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की पक्षधर शक्तियों को समर्थन दें.

बॉलीवुड में हिंदी का चेहरा: आशुतोष राना

वीडियो: मध्य प्रदेश के गाडरवारा में जन्मे आशुतोष राना रामलीला के किरदारों से अपनी जगह बनाते हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के गलियारों तक पहुंचे और साल 1995 में टीवी धारावाहिक 'स्वाभिमान' से बतौर फिल्मी अभिनेता बने. इन्होंने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मराठी फिल्में भी कीं. इसके अलावा कुछ किताबें लिखी हैं. उनसे द वायर की दामिनी यादव की बातचीत.

मीडिया बोल: सुशांत प्रकरण, दंगे में फंसाए जाते प्रोफ़ेसर, लेखक और मीडिया

वीडियो: कोरोना वायरस, बाढ़ की विभीषिका, बेकारी-बेहाली के दौर में भी मीडिया, खासकर न्यूज़ चैनल अभिनेता सुशांत सिंह प्रकरण में बड़े मसलों से ध्यान हटाने और एक तरह का ‘मीडिया ट्रायल’ चलाते नज़र आ रहे हैं. कुछ चैनल प्रोफेसरों-लेखकों को फंसाने में क्यों जुटे हैं? मीडिया बोल के नए एपिसोड में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा.

दिल्ली के प्रतिष्ठित इतिहाकार और लेखक आरवी स्मिथ का निधन

इतिहासकार और लेखक आरवी स्मिथ ने तकरीबन एक दर्जन किताबें लिखी हैं, जिनमें से अधिकांश दिल्ली पर आधारित हैं. इसके अलावा वह पत्रकार भी थे और ज़िंदगी के आख़िरी दिनों तक विभिन्न अख़बारों के लिए लिखते रहे थे.

लॉकडाउन: अगर सच में कुछ जानना या पढ़ना है तो यह किताब बंद कर देने का समय है

इस लॉकडाउन को इतने भर के लिए दर्ज नहीं किया जा सकता कि लोगों ने किचन में क्या नया बनाना सीखा, कौन-सी नई फिल्म-वेब सीरीज़ देखीं या कितनी किताबें पढ़ीं. यह दौर भारतीय समाज के कई छिलके उतारकर दिखा रहा है, ज़रूरत है कि आपकी नज़र कहां है?

‘अपनी रचनाओं में स्त्रियों के लिए जो टैगोर, शरतचंद ने किया, वो अब के लेखक नहीं कर पाए हैं’

साक्षात्कारः हिंदी की वरिष्ठ लेखिका और साहित्यकार ममता कालिया का कहना है कि स्त्री विमर्श के लिए हमें सिमोन द बोउआर तक पहुंचने से पहले महादेवी वर्मा को पढ़ना पड़ेगा, जिन्होंने 1934 में ही लिख दिया था कि हम स्त्री हैं. हमें न किसी पर जय चाहिए, न पराजय, हमें अपनी वह जगह चाहिए जो हमारे लिए निर्धारित है.

आज के समय में जाति के विरोध में कोई भी आंदोलन होता नहीं दिखता: आनंद तेलतुम्बड़े

आंबेडकर जयंती के मौके पर लेखक तेलतुम्बड़े ने कहा, 'आंबेडकर को हर कोई अपने अपने ढंग से समझता है. आज के समय में हर राजनीतिक दल उन्हें अपना बताने की कोशिश में हैं लेकिन आंबेडकर के विचारों पर कोई नहीं चलना चाहता.'

600 से अधिक थियेटर कलाकारों ने की भाजपा और सहयोगी दलों को वोट न देने की अपील

आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया वेबसाइट पर जारी संयुक्त बयान में इन कलाकारों ने कहा कि भाजपा विकास के वादे के साथ सत्ता में आई थी लेकिन हिंदुत्व के गुंडों को नफ़रत और हिंसा की राजनीति की खुली छूट दे दी. सवाल उठाने, झूठ उजागर करने और सच बोलने को देश विरोधी करार दिया जाता है. उन संस्थानों का गला घोंट दिया गया, जहां असहमति पर बात हो सकती थी.

150 से अधिक वैज्ञानिकों ने मतदाताओं से मॉब लिंचिंग के खिलाफ वोट देने की अपील की

इससे पहले 100 से अधिक फिल्मकारों और 200 से अधिक लेखकों ने देश में नफरत की राजनीति के खिलाफ मतदान करने की अपील की थी.