सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करने के लिए राज्य के वामपंथी दलों को विरोध झेलना पड़ा है. विपक्ष ने कहा है कि डर के मारे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भगवान का नाम ले रहे हैं.
भगत सिंह की पवित्र भूमि, उनका स्वर्ग भारत आज उन्हीं की परिभाषा के मुताबिक नर्क बना दिया गया है. उसे नर्क बना देने वाली ताकतें ही भारत की मालिक बन बैठी हैं. भगत के धर्म को मानने वाले क़ैद में हैं, उन्हीं की तरह. और भगत सिंह की तरह ही उनसे उनकी हंसी छीनी नहीं जा सकी है.
वीडियो: भगत सिंह की जयंती पर उनके विचारों पर चर्चा कर रहे हैं प्रोफेसर अपूर्वानंद.
ऐसा लगता है कि भगत सिंह के प्रति श्रद्धा वास्तव में गांधी-नेहरू से घृणा का दूसरा नाम है. जिनके वैचारिक पूर्वज ख़ुद को बचाते हुए अपने अनुयाइयों को भगत सिंह से दूर रहने की सलाह देते हुए दिन गुज़ारते रहे, उन्होंने अपनी कायर हिंसा को उचित ठहराने के लिए आज भगत सिंह को एक ढाल बना लिया है.
भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार हो या केंद्र की मोदी सरकार, अपने फ़ैसलों में दोनों कदम-दर-कदम पुराने दिनों वाली कांग्रेसी सरकार के निर्णयों की ही पुनरावृत्ति करती दिखाई दे रही हैं. योगी सरकार ने ट्वीट के लिए गिरफ़्तारी करवाई है, वहीं इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के जीबी पंत ने गीतकार शैलेंद्र की एक कविता पर प्रतिबंध लगाया था.
कहा जाता है कि बंगाल में वाम मोर्चे के लंबे शासन ने किसी ऐसे मंच को उभरने नहीं दिया, जिसका इस्तेमाल सांप्रदायिक शक्तियां राजनीतिक फायदे के लिए कर सकती थीं. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ज़मीन पर हिंदू-मुस्लिम तनाव नहीं था. राज्य के मौजूदा सियासी मिज़ाज को उसी दबे हुए तनाव के अचानक फूट पड़ने के तौर पर देखा जा सकता है.
एंटी-नेशनल, भारत विरोधी जैसे शब्द आपातकाल के सत्ताधारियों की शब्दावली का हिस्सा थे. आज कोई और सत्ता में है और अपने आलोचकों को देश का दुश्मन बताते हुए इसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है.
वामपंथी दल आज़ादी के बाद विकसित अपनी वह छवि नहीं बचा पाए हैं, जिसमें उन्हें सत्ता का सबसे प्रतिबद्ध वैचारिक प्रतिपक्ष माना जाता था. वे परिस्थितियों के नाम पर कभी इस तो कभी उस बड़ी पार्टी की पालकी के कहार की भूमिका में दिखने लगे.
मूर्तियों का गिराया जाना महज़ किसी पत्थर की निर्जीव प्रतिमा को ख़त्म किया जाना नहीं है. वह उस विचार, उस मूल्य को ज़मींदोज करने की कोशिश है, जिसका प्रतिनिधित्व वह प्रतिमा करती थी.
केंद्र की मोदी सरकार में सत्ता का जो स्वरूप दिखाई दे रहा है, कुछ वैसा ही स्वरूप माकपा शासित राज्यों में दिखाई देता था.
सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा कि ‘विदेशी आतंकवादी’ लेनिन की मूर्ति देश में कहीं भी क्यों होनी चाहिए? काश कोई उन्हें बताता कि लेनिन तब से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की प्रेरणा हैं, जब स्वामी की पार्टी के पुरखे अंग्रेज़ों का हुक्का भरने में मगन थे.
मोदी अगर सरदार पटेल को अपना नेता मानते हैं तो फिर उन्हें पटेल की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता पर अमल करते हुए हिंदू राष्ट्र के लिए हथियार उठाने का आह्वान करने वाले सिरफिरे पर कार्रवाई करनी चाहिए.
माकपा नेता कोडियेरी बालाकृष्णन ने कहा, राजनीतिक हिंसा में आरएसएस की ओर से 214 माकपा कार्यकर्ता मारे गए, भाजपा-आरएसएस को जवाब देना चाहिए.
केरल में हड़ताल से जनजीवन प्रभावित, हिंसा की छिटपुट घटनाएं दर्ज, बिहार भाजपा ने जनरक्षा मार्च निकाला.
जनरक्षा यात्रा के बीच केरल में कांग्रेस-भाजपा-माकपा में घमासान, कांग्रेस की हड़ताल के दौरान पथराव और हिंसा.