सरकारी और निजी अस्पतालों को महामारी काल में बुज़ुर्गों के इलाज को प्राथमिकता देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चार अगस्त 2020 के आदेश में परिवर्तन करते हुए यह बात कही हैं. उस आदेश में शीर्ष न्यायालय ने कोरोना वायरस के जोख़िम को देखते हुए बुज़ुर्ग लोगों को भर्ती एवं इलाज में प्राथमिकता देने का निर्देश केवल सरकारी अस्पतालों को दिया था.

कोरोना संकट में बुज़ुर्गों की देखभाल: राज्यों को हलफ़नामा दाख़िल करने के लिए चार हफ़्ते का समय

शीर्ष अदालत ने बीते चार अगस्त को कोविड-19 महामारी के समय अकेले रह रहे करोड़ों बुज़ुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन, आवश्यक दवाएं, सैनिटाइज़र, मास्क तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्यों से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा था.

बुज़ुर्गों को समय पर पेंशन दें, वृद्धाश्रमों में पीपीई, मास्क दिए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि महामारी के समय में करोड़ों बुज़ुर्ग अकेले रहे हैं और इस बात के लिए उचित निर्देश जारी किए जाने चाहिए कि पात्र लोगों को समय पर पेंशन मिले.

‘मुखिया ने मुझसे कहा, पहले माथे का सिंदूर मिटाकर आओ तब पेंशन मिलेगी’

भारत सरकार राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत वृद्धों को पेंशन देती है. इसमें केंद्र सरकार का योगदान केवल 200 रुपये प्रति माह है. पेंशन मिलने में आ रही दिक्कतों और पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर विभिन्न राज्यों से आए ​बुज़ुर्गों ने नई दिल्ली में प्रदर्शन किया.