भारत का संप्रभु बॉन्ड से पैसा जुटाने का फैसला काफी जोख़िम भरा है

अगर केंद्र की मोदी सरकार को विदेशों से डॉलर में क़र्ज़ लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो इसके पीछे पिछले पांच वर्षों के दौरान पनपने वाले आर्थिक संकट का हाथ है.