खोखली भावनाओं की भ्रष्ट श्रद्धांजलि है ‘चंपारण सत्याग्रह’ का शताब्दी समारोह

आज़ादी के बाद किसान अपनी समस्याओं के निदान के लिए गांधी के बताए सत्याग्रह के मार्ग पर चल रहे हैं, पर सरकारों के लिए इसका कोई अर्थ नहीं रह गया है.