सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट द्वारा जारी ‘भारत के पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में पलायन के लिहाज़ से भारत दुनिया का चौथा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बन गया है. चीन, फिलीपींस और बांग्लादेश में पिछले साल सर्वाधिक पलायन हुआ. प्रत्येक देश में 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने की राजनीतिक असफलता के कारण अकेले दक्षिण एशिया में बड़ी संख्या में विस्थापन होगा और यह क्षेत्र बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं से जूझेगा.
महाराष्ट्र सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया कि बेमौसम बरसात से 44,33,549 किसान प्रभावित हुए और आठ जिलों में 41,49,175 हेक्टेयर जमीन पर फसल बर्बाद हुई.
राजस्थान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 33 ज़िलों को भूजल के हिसाब से कुल 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए हैं. इसका मतलब है कि आधे से ज़्यादा राज्य में ज़मीनी पानी कभी भी समाप्त हो सकता है.
मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामलों को किसी भी सरकार को अपने अपमान के तौर पर नहीं लेना चाहिए. सरकार को स्थितियां सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए और उन संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए, जो राज्य में जल संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि साफ तौर पर हम एक ऐसी स्थिति देख रहे हैं जो राष्ट्रीय आपदा में बदल सकती है.
महाराष्ट्र के सहकारिता एवं पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने विधानसभा में बताया कि साल 2015 से 2018 के दौरान जिन 12,021 किसानों ने आत्महत्या की, उनमें से 6,888 किसान सरकारी मदद पाने के योग्य थे.
चेन्नई में बीते कुछ महीनों से जारी पानी की कमी के चलते लोग बेहाल. आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों से घर से काम करने को कहा, होटलों ने बंद किया दोपहर का खाना, कई ने अपने काम के घंटे भी घटाए.
पिछले साल इसी अवधि में 896 किसानों ने आत्महत्या की थी.
ग्राउंड रिपोर्ट: राजस्थान के धौलपुर ज़िले के डांग क्षेत्र के गौलारी, बीलौनी और डौमई ग्राम पंचायतों के तहत आने वाले तमाम गांवों में इन दिनों पीने के पानी की भारी किल्लत बनी हुई है.
कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे इसलिए वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं ताकि फ्लोरोसिस से प्रभावित उनके ज़िले पर राष्ट्रव्यापी चर्चा हो और लोगों का इस पर ध्यान जाए.
राज्य सरकार का कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त काम किए जा रहे हैं लेकिन इन दुर्गम क्षेत्रों में जीवन अब भी जस का तस बना हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले जस्टिस सीएस कर्णन को जून 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने की जेल की सज़ा काटनी पड़ी थी. वाराणसी के साथ उन्होंने मध्य चेन्नई लोकसभा सीट के लिए भी अपना नामांकन दाख़िल किया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: रायलसीमा तिरुपति, कडपा, राजमपेट, अनंतपुर, हिंदूपुर, नांदयाल, कुरनूल और चित्तूर में भूमिगत जल खारा हो चुका है. बेरोज़गारी बढ़ रही है. पलायन शुरू हो चुका है, लेकिन इन आठ सीटों पर अहम की लड़ाई ने चुनाव को जाति पर ही केंद्रित कर दिया है. अमित कुमार निरंजन की रिपोर्ट.
वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके 111 किसानों की योजना है कि वे अपना नामांकन दाखिल करेंगे और अघोरी साधुओं की वेषभूषा में मोदी के खिलाफ प्रचार करेंगे.