आपातकाल के 44 साल बाद इन सेंसर-आदेशों को पढ़ने पर उस डरावने माहौल का अंदाज़ा लगता है जिसमें पत्रकारों को काम करना पड़ा था, अख़बारों पर कैसा अंकुश था और कैसी-कैसी ख़बरें रोकी जाती थीं.
फिल्म 'नो फादर्स इन कश्मीर' के ट्रेलर रिलीज़ पर फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा कि आज एक फिल्म निर्माता और लेखक कागज़ पर कलम चलाने से पहले दस बार सोचता है कि उसे क्या लिखना चाहिए, सीबीएफसी उसे मंज़ूरी देगा या नहीं.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों ने भारत में अपने कंटेंट के नियमन के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, हालांकि अमेजन के प्राइम वीडियो ने इसे मानने से इनकार किया है. अमेजन का कहना है कि वर्तमान नियम पर्याप्त हैं.
लेखक एवं निर्देशक विशाल भारद्वाज ने कहा कि समाज में जो कुछ भी गलत होता है उसका दोष मढ़ने के लिए फिल्में आसान लक्ष्य हैं. सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं की चिंताओं पर ध्यान नहीं देता है.
रोजगार नहीं है. उत्पादन घट गया है. किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नसीब नहीं हो रहा है. हेल्थ सर्विस चौपट हो चली है. शिक्षा-व्यवस्था डांवाडोल है. मुस्लिम ख़ामोश हो गया है. दलित चुपचाप है लेकिन आवाज़ नहीं उठनी चाहिए क्योंकि देश में क़ानून अपना काम कर रहा है.
राजनीतिक विमर्श में आपातकाल नरेंद्र मोदी का प्रिय विषय रहता है. यह और बात है कि मोदी आपातकाल के दौरान एक दिन के लिए भी जेल तो दूर, पुलिस थाने तक भी नहीं ले जाए गए थे. भूमिगत रहकर उन्होंने आपातकाल विरोधी संघर्ष में कोई हिस्सेदारी की हो, इसकी भी कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं मिलती.
आपातकाल कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि सत्ता के अतिकेंद्रीकरण, निरंकुशता, व्यक्ति-पूजा और चाटुकारिता की निरंतर बढ़ती गई प्रवृत्ति का ही परिणाम थी. आज फिर वैसा ही नज़ारा दिख रहा है. सारे अहम फ़ैसले संसदीय दल तो क्या, केंद्रीय मंत्रिपरिषद की भी आम राय से नहीं किए जाते, सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री की चलती है.
मोदी सरकार में मंत्रालय संभालने वाली चौथी मंत्री बनी स्मृति ईरानी, सेंसरशिप के मुद्दे पर होते रहे विवाद.
नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या मामले में सुनवाई कर रही अदालत ने कहा, हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. हम रोजाना ऐसी घटनाओं पर गर्व नहीं कर सकते हैं. यह हमारे के लिए शर्मनाक है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सभा, वाद-विवाद और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रबंधन की अनुमति मिलने में विद्यार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
इम्तियाज़ अली की आने वाली फिल्म जब हैरी मेट सेजल के डायलॉग प्रोमो में ‘इंटरकोर्स’ शब्द पर आपत्ति जताते हुए सेंसर बोर्ड अध्यक्ष ने ट्रेलर टीवी पर दिखाए जाने पर क़ानूनी कदम उठाने की बात कही है.