स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने से मज़बूत होगा स्वास्थ्य सेवा का पूरा तंत्र: कैलाश सत्यार्थी

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई. ग़रीब, वंचित और आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा. इसी नाते सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की ज़रूरत है.

भारत को स्वास्थ्य ढांचे में लंबे समय तक निवेश जारी रखना चाहिए: विश्व आर्थिक मंच अध्यक्ष

विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत को कोविड-19 संकट के बीच खर्च को सावधानीपूर्वक समायोजित करने और औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता है.

क्यों देश की राजनीतिक और आर्थिक ताक़त कुछ परिवारों तक सिमटकर रह गई है

क्या अगले आम चुनाव में मोदी सरकार या महागठबंधन में से कोई नेता या दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में यह वादा कर सकता है कि वो देश की आम जनता को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा देने की संवैधानिक जवाबदारी निभाने के लिए 2019 से देश के अरबपतियों और अमीरों पर उचित टैक्स लगाने का काम करेगा?

आधार नहीं होने पर भी मिलेंगी आवश्यक सेवाएं: यूआईडीएआई

यूआईडीएआई ने सरकारी विभागों और राज्य सरकारों से कहा है कि आधार संख्या नहीं होने पर आवश्यक सेवाओं और लाभ से वास्तविक लाभार्थी को उसका लाभ लेने से मना नहीं किया जाए.

ग़रीबों के स्वास्थ्य देखभाल की हालत दयनीय, इससे असमानता बढ़ती है: संसदीय ​समिति

संसद की एक समिति ने कहा, केंद्र सरकार को यह बहाना बनाना बंद कर देना चाहिए कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और मिशन मोड में काम करना चाहिए.

भारत में स्वास्थ्य पर ख़र्च हुआ जीडीपी का 1.5 फीसदी, अमेरिका ने ख़र्च किया 17.43 फीसदी

स्वास्थ्य राज्यमंत्री की ओर से पेश आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 में 1.4 फीसदी और वर्ष 2014-15 में 1.2 फीसदी राशि स्वास्थ्य पर ख़र्च हुई.

‘देश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा न होने से दिल्ली के अस्पतालों में भीड़’

एम्स के डॉक्टर ने केंद्रीय मंत्री द्वारा मरीजों के वापस लौटाने को नैतिक रूप से ग़लत बताते हुए लिखा खुला पत्र.

जन गण मन की बात, ​एपिसोड 94: भाजपा ​के यूटर्न और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति

जन गण मन की बात की 94वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा के सियासी यू टर्न और भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.

कहां गईं मध्य प्रदेश की 23 लाख गर्भवती महिलाएं?

कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में पिछले पांच सालों में तकरीबन 93.7 लाख गर्भवती महिलाओं ने प्रसव पूर्व देखभाल के लिए अपना पंजीकरण करवाया था पर प्रसव सिर्फ 69.8 लाख के हुए. ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी 23.9 लाख गर्भवती महिलाओं का क्या हुआ?