घृणा और हिंसा के प्रति समाज के रवैये से उसकी सभ्यता का स्तर मालूम होता है

मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा सिर्फ भारत में नहीं है. यह एक प्रकार की विश्वव्यापी बीमारी है और यह कनाडा में भी पाई जाती है. लेकिन इस हिंसा पर समाज, सरकार और पुलिस की प्रतिक्रिया क्या है, कनाडा और भारत में यही तुलना का संदर्भ है.

क्या हिंदू समाज हत्यारों का साझीदार हुआ?

यह भारत का सामाजिक स्वभाव बनता जा रहा है कि मुसलमानों को खुलेआम मारा जा सकता है, उनके ख़िलाफ़ हिंसक प्रचार किया जा सकता है और पुलिस-प्रशासन से लेकर राजनीतिक दलों तक कोई भी इसे गंभीर मामला मानने को तैयार नहीं.

मुस्लिमों के उत्पीड़न की वजह अब ध्रुवीकरण नहीं, उन्हें अपमानित ज़िंदगी जीने के लिए मजबूर करना है

देश के नेता विगत कोई बीस सालों के अथक प्रयास से समाज का इतना ध्रुवीकरण पहले ही कर चुके हैं कि आने वाले अनेक वर्षों तक उनकी चुनावी जीत सुनिश्चित है. फिर कुछ लोग अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और उन्हें अपमानित करने के लिए जोशो-ख़रोश से क्यों जुटे हुए हैं?

भारतीय मुसलमानों की विडंबना: हुए अपने ही घर में पराये

जिस तरह देश में सांप्रदायिक वैमनस्य बढ़ रहा है, उससे मुसलमानों के निराश और उससे कहीं ज़्यादा भयग्रस्त होने के अनेकों कारण हैं. समाज एक ‘बाइनरी सिस्टम’ से चलाया जा रहा है. अगर आप बहुसंख्यकवाद से सहमत हैं तो देशभक्त हैं, नहीं तो जिहादी, शहरी नक्सल या देशद्रोही, जिसकी जगह जेल में है या देश से बाहर.

फेसबुक द्वारा बजरंग दल पर कार्रवाई की बात पर सुरक्षा टीम ने जताई थी हमले की आशंका: रिपोर्ट

वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक की सुरक्षा टीम ने सोशल मीडिया कंपनी को चेतावनी दी थी कि अगर प्लेटफॉर्म से बजरंग दल को प्रतिबंधित किया गया, तो जवाबी तौर पर संभावित हमला हो सकता है.

प्रभावशाली लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उपयोग में और ज़िम्मेदार होना चाहिए: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले में यह टिप्पणी की, जिसमें उसने 15 जून को एक शो के दौरान सूफ़ी संत ख़्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती के संबंध में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर टीवी एंकर अमीश देवगन के ख़िलाफ़ दर्ज कई प्राथमिकीयों को रद्द करने से इनकार कर दिया.

फेसबुक ने पहली बार दिए हेट स्पीच के आंकड़े, यूज़र्स की जानकारी मांगने में भारत दूसरे नंबर पर

फेसबुक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020 की पहली छमाही में दुनियाभर में सरकारी स्तर पर की गई इंटरनेट रुकावट के 79 फीसदी मामले भारत में हुए.

संसदीय समिति की पूछताछ के हफ़्ते भर बाद फेसबुक इंडिया की अधिकारी आंखी दास का इस्तीफ़ा

अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अगस्त में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि आंखी दास ने एक भाजपा नेता के ख़िलाफ़ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था. हालांकि उनके इस्तीफ़े के इस विवाद से जुड़े होने की पुष्टि नहीं हुई है.

अभिव्यक्ति की आज़ादी और मानवीय गरिमा में संतुलन को लेकर चिंतित: सुप्रीम कोर्ट

सुदर्शन टीवी के विवादित कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अदालत के मीडिया नियमन के प्रस्ताव पर केंद्र ने एक हलफनामे में कहा है कि अगर वे इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए दिशानिर्देश देना ज़रूरी समझते हैं, तो समय की दरकार है कि ऐसा पहले डिजिटल मीडिया के लिए किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम को मुस्लिमों को बदनाम करने की कोशिश कहा, लगाई रोक

सुदर्शन न्यूज़ के बिंदास बोल कार्यक्रम के 'नौकरशाही जिहाद' एपिसोड के प्रसारण को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत होने के नाते यह कहने की इजाज़त नहीं दे सकते कि मुस्लिम सिविल सेवाओं में घुसपैठ कर रहे हैं. और यह नहीं कहा जा सकता कि पत्रकार को ऐसा करने की पूरी आज़ादी है.

फेसबुक की पूर्व कर्मचारी का दावा, फेसबुक के ज़रिये दिल्ली चुनाव प्रभावित करने की कोशिश की गई

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक की एक पूर्व डेटा साइंटिस्ट ने फेसबुक पर कई देशों के चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि दुनियाभर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करने के प्रयासों से निपटने में फेसबुक पारदर्शिता लाने या समय पर कार्रवाई करने में असफल रहा है.

सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने दी ‘यूपीएससी जिहाद’ वाले कार्यक्रम के प्रसारण की इजाज़त, अदालत ने भेजा नोटिस

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने गुरुवार को सुदर्शन न्यूज़ के कार्यक्रम 'बिंदास बोल' के विवादित नौकरशाही जिहाद वाले एपिसोड के प्रसारण की अनुमति दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके ख़िलाफ़ दायर हुई याचिका पर मंत्रालय से जवाब मांगा है.

सुदर्शन न्यूज़ के नफ़रत भरे प्रचार की निंदा करना ही काफ़ी नहीं है

नेताओं की हेट स्पीच, सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों के ज़रिये समाज में कट्टरता और नफ़रत भरे विचारों को बिल्कुल सामान्य तौर पर परोसा जा रहा है और ऐसा करने वालों में सुरेश चव्हाणके अकेले नहीं हैं.

चौतरफा आलोचनाओं से घिरे फेसबुक ने भाजपा विधायक टी. राजा सिंह के एकाउंट पर प्रतिबंध लगाया

अगस्त महीने में एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.

2019 के चुनाव से पहले भाजपा के कहने पर फेसबुक ने उसके विरोधी 14 पेजों को बंद किया था: रिपोर्ट

पिछले साल नवंबर में भाजपा ने फेसबुक इंडिया को डिलीट किए जा चुके 17 पेजों को भी दोबारा से शुरू करने के लिए कहा था, जिसमें दो न्यूज़ वेबसाइट- ‘द चौपाल’ और ‘ऑप इंडिया’ शामिल थीं. जिन फेसबुक पेजों की पार्टी ने शिकायत की थी, उनमें ‘भीम आर्मी’ का आधिकारिक अकाउंट, ‘वी हेट बीजेपी’, ‘द ट्रूथ ऑफ गुजरात’ और पत्रकार रवीश कुमार तथा विनोद दुआ के समर्थन वाले पेज शामिल थे.