1984 सिख दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की ज़मानत याचिका ख़ारिज की, कहा- यह छोटा मामला नहीं

17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है.

1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषियों को सज़ा दिलाने में पुलिस-प्रशासन की दिलचस्पी नहीं थी: रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1984 के दंगों संबंधी मामलों की जांच के लिए बनाए गए विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने दंगों के दौरान दंगाइयों पर हत्या, आगजनी और हिंसा के मामले दर्ज करने की कोशिश नहीं की, साथ ही आपराधिक मामलों को छिपाने का प्रयास भी किया.

1984 दंगा: बढ़ सकती हैं कमलनाथ की मुश्किलें, एसआईटी ने फिर खोले सात मामले

गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल के 1984 दंगों से जुड़े सात मामलों को फिर से खोलने के निर्णय के बाद दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कमलनाथ ने इन सात मामलों में से एक के पांच आरोपियों को कथित तौर पर शरण दी थी.

1984 सिख विरोधी दंगे: सुप्रीम कोर्ट ने 33 लोगों को जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिका पर यह फैसला दिया है. इससे पहले निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन लोगों को दोषी ठहराया था और पांच वर्ष जेल की सजा सुनाई थी.

अपूर्वानंद की मास्टरक्लास, एपिसोड 01: सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार को उम्रक़ैद

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में 34 साल बाद कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है. इस विषय पर अपूर्वानंद की पहली मास्टरक्लास.

1984, 1993, 2002 के दंगों में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया, नेता-पुलिस का था सहयोग: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकै़द की सज़ा देते हुए कहा कि मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नरसंहार हमारे घरेलू क़ानून का हिस्सा नहीं हैं. इन कमियों को ख़त्म करने की जल्द से जल्द ज़रूरत है.

1984 सिख विरोधी दंगे: कांग्रेस नेता सज्जन कुमार दोषी क़रार, उम्रक़ैद की सज़ा

मामला दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पालम कॉलोनी में एक सिख परिवार के पांच सदस्यों की हत्या और एक गुरुद्वारे में आगे लगाने से जुड़ा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़ित को यह एहसास कराना ज़रूरी है कि कितनी भी चुनौती आए, लेकिन सत्य की जीत होगी.