यूपी: पंचायत चुनाव में जाट प्रत्याशी का विरोध करना पड़ा भारी, दलित परिवार को न्याय का इंतजार

संभल ज़िले के एक गांव में जाटव परिवार का ग्राम पंचायत चुनाव में उनकी पसंद के उम्मीदवार को वोट देना एक जाट प्रत्याशी को रास नहीं आया और चुनाव जीतने के बाद उसने इस परिवार को निशाना बनाया. इस बीच जाटव परिवार की एक महिला पर एसिड अटैक हुआ और पीड़ित परिवार को गांव छोड़ना पड़ा.

2018-20 के दौरान एसिड अटैक के 386 मामले दर्ज हुए: केंद्र सरकार

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में बताया कि 2018 में महिलाओं के ख़िलाफ़ तेज़ाब हमले के 131 मामले, 2019 में 150 और 2020 में 105 मामले दर्ज किए गए.

यूपी: छेड़खानी मामले में कथित तौर पर समझौता न करने से नाबालिग के माता-पिता पर तेज़ाब फेंका

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले का मामला है. इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. आरोप है कि पुलिस भी नाबालिग के परिजनों पर समझौता करने का दबाव बना रही थी. घटना के 13 दिन बाद एसपी के हस्तक्षेप करने से छह मई को ज़िले के गजरौला थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई. इस संबंध में लापरवाही के आरोप में थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है.

उत्तर प्रदेश: शीरोज़; एसिड अटैक सर्वाइवर्स की कहानियां

वीडियो: उत्तर प्रदेश चुनाव की कवरेज के दौरान द वायर की टीम राजधानी लखनऊ के एक कैफे में पहुंची, जहां एसिड अटैक सर्वाइवर्स काम करती हैं. इस कैफे का नाम ‘शीरोज़ हैंगआउट कैफे’ है. इसे छाया फाउंडेशन के तहत शुरू किया गया था, जो एसिड अटैक सर्वाइवर्स को पुनर्वास का अवसर प्रदान करता है.

तेज़ाब हमले के पीड़ित को विकलांग अधिकार अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति का हक़ है: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट दो बच्चों की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर 2010 में उसके पति ने हमला किया था और उसके चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया था. राज्य सरकार को पीड़ित महिला को 2016 के क़ानून के तहत तीन महीने के अंदर मुआवज़े का भुगतान करने और चेहरे की सर्जरी तथा अन्य चिकित्सकीय ख़र्च भी उठाने का निर्देश दिया.

दिल्ली दंगों के अधिकतर मामलों में जांच का मापदंड बहुत घटिया है: अदालत

दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि पुलिस आधे-अधूरे आरोप-पत्र दायर करने के बाद जांच को तार्किक परिणति तक ले जाने की बमुश्किल ही परवाह करती है, जिस वजह से कई आरोपों में नामज़द आरोपी सलाखों के पीछे बने हुए हैं. ज़्यादातर मामलों में जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं नहीं हो रहे हैं.

महाराष्ट्र: युवक द्वारा एसिड फेंकने और पेट्रोल से जलाने के बाद युवती की मौत

महाराष्ट्र के बीड ज़िले की घटना. राज्य के गृह मंत्री ने कहा है कि आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है और मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक अदालत में करने के ​निर्देश दे दिए गए हैं.

उत्तर प्रदेशः गोंडा में तीन नाबालिग दलित बहनों पर एसिड अटैक

घटना गोंडा ज़िले के परसपुर थाना क्षेत्र की है. तीनों बहनों को गोंडा ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी हालत स्थिर है. पुलिस ने अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.

झारखंड: नाबालिग को एसिड पिलाने के मामले में कोर्ट ने कहा, लगता है पुलिस आरोपी को बचा रही है

पिछले साल दिसंबर में झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले में 13 साल की एक बच्ची को कुछ लोगों ने जबरन एसिड पिला दिया था. वह दो महीने तक बोल नहीं पाई थी, इसलिए दो महीने बाद फरवरी में इस संबंध में केस दर्ज किया जा सका था और पुलिस अब तक आरोपी को पकड़ नहीं सकी है.

झारखंडः 13 साल की बच्ची को जबरन पिलाया था एसिड, छह महीने बाद भी कोई गिरफ़्तारी नहीं

यह मामला पिछले साल 19 दिसंबर का है. इसके दो महीने बाद बच्ची अपने साथ घटे हादसे की जानकारी दे पाई थी. आरोप है कि आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची को स्कूल से घर लौटते समय आरोपी ने जबरन एसिड पिला दिया था.

बिहार: बलात्कार की कोशिश में असफल रहने पर पड़ोसी ने युवती को लगाई आग

एक अन्य घटना में बिहार के कैमूर जिले में एक विवाहिता के घर में घुसकर उसके मुंह पर रविवार की शाम तेजाब फेंक दिया गया, जिससे महिला गंभीर रूप से ​घायल हो गई.

उत्तर प्रदेश: बलात्कार का मामला वापस न लेने पर चार व्यक्तियों ने महिला पर फेंका तेजाब

मामला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का है. पुलिस ने बताया कि चारों व्यक्तियों ने अदालत से बलात्कार का मामला वापस न लेने पर महिला पर तेजाब से हमला किया. महिला तीस प्रतिशत तक जल गई है और मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

एसिड अटैक बर्बर अपराध, अपराधी किसी तरह की नरमी का हक़दार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

हिमाचल प्रदेश में हुए एक एसिड अटैक के आरोप में सज़ा काट चुके दो दोषियों को पीड़िता को अतिरिक्त मुआवज़ा देने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे अपराध में किसी तरह की नरमी की गुंजाइश नहीं है. पीड़िता को ऐसे हमले से जो आघात पहुंचा है उसकी भरपाई दोषियों को सज़ा देने या किसी भी मुआवज़े से नहीं की जा सकती.

बेटियों के लिहाज से बाकी उत्तर प्रदेश का सच भी वाराणसी जितना ही कड़वा है

योगी सरकार से पूछना चाहिए कि यह बेटियों की सुरक्षा है या छल? जिस मीडिया को पूछना चाहिए उसने तो अखिलेश सरकार के जाने के बाद जंगलराज ख़त्म मान लिया है.

महिला पर बाहर से एसिड फेंके जाने के साक्ष्य नहीं : उत्तर प्रदेश पुलिस

पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि महिला जहां गिरी मिली थी, वहां किसी भी प्रकार के एसिड की मौजूदगी नहीं पाई गई है.