सीएए के ज़रिये संविधान में समानता के विचार को ख़त्म किया गया है: पिनाराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में आयोजित एक रैली में कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कभी भी धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं किया. उनकी विचारधारा एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के फासीवाद से प्रेरित है.

‘मन की बात’ उसी प्रकार की आत्मरति है जैसी स्टालिन या हिटलर को थी

बताया जाता है कि सोवियत यूनियन में आप स्टालिन की आवाज़ से बच नहीं सकते थे. सड़कों पर लाउडस्पीकरों से स्टालिन की आवाज़ आपका पीछा करती रहती थी. हिटलर ने आत्मप्रचार के लिए रेडियो का कैसा इस्तेमाल किया, यह जानी हुई बात है. भारत भी अब हिटलर और स्टालिन के रास्ते चल रहा है.

सवाल कविता कृष्णन पर नहीं, सीपीआई माले पर है

कविता कृष्णन के सवालों पर चुप्पी साधते हुए सीपीआई माले के उन्हें विदा करने के बाद बहुत सारे पुराने, निष्क्रिय ‘मार्क्सवादियों’ ने इस बात के लिए दोनों की तारीफ़ की कि उन्होंने अलग होने में ‘शालीनता दिखाई.’ ज़रूरी सवालों पर चुप रह जाना शालीनता नहीं होती, बल्कि उठाए गए सवालों पर सहमति होती है.

हिंदुत्ववादियों का मनुस्मृति से ‘मोह’ छूट नहीं रहा है

भारत द्वारा संविधान अपनाए हुए सत्तर साल बीत चुके हैं. डॉ. आंबेडकर के मुताबिक इसने ‘मनु के शासन की समाप्ति की थी.’ लेकिन हिंदुत्ववादियों के बीच आज भी उसका सम्मोहन बरक़रार है.

प्रोपेगैंडा तय करता है कि ख़ून का दाग़ भीड़ पर लगे और नेता निर्दोष नज़र आएं

भारत में सब हत्या करने वाली भीड़ को ही दोष दे रहे हैं. कोई नहीं जांच करता कि बिना आदेश के जो भीड़ बन जाती है उसमें शामिल लोगों का दिमाग़ किस ज़हर से भरा हुआ है.