यूक्रेन में बढ़ते हालिया तनाव के मद्देनज़र भारतीय दूतावास ने हफ्ते भर से भी कम समय के अंदर दूसरा परामर्श जारी किया है. इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे उपलब्ध साधनों से तुरंत यूक्रेन छोड़ दें.
यूक्रेन में रूस के बढ़ते हमलों के मद्देनज़र भारत ने वहां रह रहे भारतीयों को वापस देश लौटने का परामर्श दिया है. हालांकि कुछ समय पहले वहां पहुंचे 1,500 से अधिक भारतीय छात्रों ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करके वापस जाएंगे या फिर ताबूत में. उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है.
भारतीय दूतावास ने कहा कि बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और हाल में ख़राब होते हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों को यूक्रेन की यात्रा नहीं करने की सलाह दी जाती है. फिलहाल यूक्रेन में रह रहे छात्रों सहित भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी जाती है.
यूक्रेन के कीव स्थित भारतीय दूतावास ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि यूक्रेन में मौजूदा स्थिति की अनिश्चितताओं को देखते हुए भारतीय नागरिक, विशेष रूप से छात्रों जिनका वहां रहना आवश्यक नहीं है, वे अस्थाई तौर पर निकलने पर विचार कर सकते हैं. भारतीय नागरिकों को यूक्रेन के भीतर अनावश्यक यात्राओं से बचने की भी सलाह दी जाती है.
सरकार की ओर से जारी इस एडवाइज़री में कहा गया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से बच्चे तेज़ी से मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और ऑनलाइन गेमिंग के आदी हुए हैं. इसमें परिजनों को सुझाव दिया गया है कि वे बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि से संबंधित असाधारण गोपनीय व्यवहार और विशेष रूप से सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय में वृद्धि पर नज़र रखें.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी यह परामर्श हाथरस में एक दलित युवती के कथित गैंगरेप और मौत मामले में राष्ट्रव्यापी रोष के बाद आई है. परामर्श में कहा गया है कि बलात्कार के मामलों में मौत के समय दिए गए बयान को केवल इसलिए ख़ारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज नहीं किया गया.
अमेरिकी हवाई हमले में अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद कार्रवाई करते हुए ईरान ने इराक स्थित अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल हमला किया. वहीं, ईरान में यूक्रेन का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से सभी 176 नागरिकों की मौत हो गई.
दारुल उलूम के प्रभारी ने बताया, ‘दो साल पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर पुलिस ने मदरसे के छात्रों को हिरासत में लिया था और मीडिया ने उन्हें आतंकी बता दिया था. हालांकि अगले ही दिन उन्हें छोड़ दिया गया, लेकिन मीडिया ने नहीं बताया कि उसने ग़लत जानकारी चला दी थी. दारुल उलूम नहीं चाहता कि ऐसी कोई घटना दोबारा हो.’