‘मां ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, अफ़ग़ानिस्तान वापस मत लौटना’

अफ़ग़ानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ़ के रहने वाले क़ुर्बान हैदरी ने इसी साल जेएनयू से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है और 31 अगस्त को उनकी वीज़ा अवधि ख़त्म होने के बाद से वे अनिश्चितता से घिरे हुए हैं. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी हिंसा के शिकार अल्पसंख्यक समुदाय हज़ारा से आने वाले हैदरी को डर है कि अगर वीज़ा एक्सटेंड नहीं हुआ तो देश वापस लौटने पर उनकी जान ख़तरे में होगी.