संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इस दौरान संसद के बाहर केंद्र के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ रोज़ क़रीब किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा. साथ ही सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन में क़ानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को चेतावनी पत्र दिया जाएगा.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बीते 30 जून को ग़ाज़ीपुर प्रदर्शन स्थल के पास भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़प हुई थी. भारतीय किसान यूनियन की ओर से कहा गया है कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास है. दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई तो किसान राज्यभर के थानों पर धरना देंगे. किसानों ने भी कथित भाजपा समर्थकों के एक समूह के ख़िलाफ़ इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बुधवार को ग़ाज़ीपुर प्रदर्शन स्थल के पास भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़प हुई थी. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि यह प्रकरण सात महीने पुराने विरोध को दबाने के लिए भाजपा और आरएसएस की साज़िश है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच हुई झड़प के बाद किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कुचलने और इसे बदनाम करने की केंद्र सरकार की एक और साज़िश है.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल किले तक पहुंच गए थे और वहां एक धार्मिक झंडा लगा दिया था. इस संबंध में पुलिस ने अमृतसर से 21 वर्षीय किसान गुरजोत सिंह को गिरफ़्तार किया है.
तीन कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में हरियाणा की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखा था. इसी पत्र का जवाब देते हुए मलिक ने उन्हें लिखे एक पत्र में ये बातें कहीं हैं.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल किले तक पहुंच गए थे और वहां एक धार्मिक झंडा लगा दिया था. आरोप है कि ऐसा करने के लिए पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने उकसाया था.
गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को भेजे एक पत्र में आरोप लगाया गया है कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसान प्रवासी श्रमिकों को उनके खेतों में काम करने के लिए ड्रग्स दे रहे हैं, ताकि उनसे लंबे समय तक काम लिया जा सके. इसके जवाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा लगातार आतंकवादी, शहरी नक्सली और ग़ुंडे बताकर बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं.
गृह मंत्रालय ने साल 2019-2020 में बीएसएफ द्वारा इस तरह की खोज का हवाला देते हुए पंजाब सरकार को एक पत्र भेजा है. हालांकि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों इसकी निंदा की है. इनका कहना है कि उन्हें खालिस्तानी और आतंकवादी कहने के बाद केंद्र सरकार एक और सांप्रदायिक कार्ड खेल रही है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा की. किसान नेताओं ने 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की बात कही है. आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके सम्मान में छह मई को कार्यक्रम होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 जनवरी को तीन नए विवादास्पद कृषि क़ानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय समिति नियुक्त की थी. हालांकि किसानों के विरोध और समिति को सरकार समर्थन बताने के बाद एक सदस्य ने समिति से ख़ुद को अलग कर लिया था.
केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से जुड़े मामले में एक शख़्स को ज़मानत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि उस समय आरोपी की मौजूदगी और लाल क़िले की दीवार पर चढ़ जाने के आधार पर उसकी हिरासत को सही नहीं ठहरा सकते.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने की सिफ़ारिश की है. इस समिति में भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने की सिफ़ारिश की है. इस समिति में दोनों सदनों से भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने के लिए कहा है. इस समिति में दोनों सदनों से भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.