जेएनयू छात्रसंघ चुनाव: ‘लेफ्ट यूनिटी’ ने केंद्रीय पैनल की सभी चार सीटों पर जीत हासिल की

लेफ्ट यूनिटी से एन. साई बालाजी, सारिका चौधरी, एजाज अहमद और अमुथा ने जीत हासिल की. इस साल के चुनाव में 67.8 प्रतिशत छात्रों ने मतदान किया था जो कि पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत अधिक है.

पटना विश्वविद्यालय: छात्रसंघ चुनाव के नतीजों पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

बीते शनिवार चुनाव परिणाम आने के बाद से ही छात्र अध्यक्ष पद के विजेता के नामांकन में गड़बड़ी और चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

जेएनयू छात्रसंघ का आरोप, अटेंडेंस के लिए डीन ने छात्रों को बंधक बनाया

जेएनयू प्रशासन द्वारा उपस्थिति अनिवार्य करने के फैसले का विरोध एबीवीपी, एनएसयूआई, बापसा समेत जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठन कर रहे हैं.

जेएनयू के कुलपति पर विश्वविद्यालय को स्कूल बनाने का आरोप क्यों लग रहा है?

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य करने के प्रशासन के फैसले को छात्र-छात्राएं और शिक्षकों का एक समूह जेएनयू की परंपरा के ख़िलाफ़ बता रहा है.

छात्र-छात्राओं के लिए राजनीति क्यों ज़रूरी है

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में समाजवादी छात्र सभा ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सांस्कृतिक सचिव और उपमंत्री का पद जीता, एबीवीपी की केवल एक पद पर जीत.

रामजस विवाद: अदालत ने कहा, विश्वविद्यालय में नारेबाज़ी करना अभिव्यक्ति की आज़ादी में आता है

दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत ने कहा छात्रों का इकट्ठा होकर नारेबाज़ी करना अभिव्यक्ति की आज़ादी में आता है और इससे ये साफ़ नहीं होता कि उनका मक़सद फ़साद फैलाना था.

जेएनयू छात्रसंघ पर फिर वाममोर्चा का क़ब्ज़ा, आइसा की गीता कुमारी बनीं अध्यक्ष

सिमोन ज़ोया ख़ान को उपाध्यक्ष, एसएफआई के दुग्गीराला श्रीकृष्ण को महासचिव और डीएसएफ के शुभांशु सिंह को संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल हुई.

रामजस विवाद: ‘अप्रामाणिक वीडियो के आधार पर देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता’

अदालत ने कहा, अगर आइसा और एबीवीपी के बीच फिर से झड़प होती है, क्या इसे देशद्रोह कहा जाएगा. वॉट्सऐप पर सामग्री से छेड़छाड़ वाले कई वीडियो चल रहे हैं.

चंद्रशेखर की हत्या करने वाली बंदूक ‘धर्मनिरपेक्ष’ थी

चंद्रशेखर ने कहा था, ‘हां, मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है- भगत सिंह की तरह जीवन, चे ग्वेरा की तरह मौत.’ उनके दोस्त कहते हैं कि चंदू ने अपना वायदा पूरा किया.

‘यह सड़क भी एक किस्म की क्लास है, भले ही सिलेबस के बाहर हो’

हिंसा में दो पक्ष ज़रूर होते हैं, लेकिन बराबर नहीं. हिटलर की जर्मनी में भी दो पक्ष थे और गुजरात में भी दो पक्ष थे. जेएनयू में भी दो पक्ष थे और रामजस कॉलेज में भी दो पक्ष हैं. उनमें से एक हमलावर है, और दूसरा जिस पर हमला हुआ, यह कहने में हमारी संतुलनवादी ज़बान लड़खड़ा जाती है.

जो हमारे ख़िलाफ़ हैं, वे हमारे दुश्मन नहीं: शत्रुघ्‍न सिन्हा

भाजपा सांसद शत्रुघ्‍न सिन्हा ने कहा, ‘यह लोकतंत्र है, यहां सबको बोलने का अधिकार है. अगर किसी बात से आप सहमत नहीं हैं तो भी इसका जवाब हिंसा से देना ठीक नहीं.’

जिनके पास सत्ता है वो ‘बात के बदले लात’ की संस्कृति चलाना चाहते हैं

कश्मीर में लोकतंत्र कमज़ोर है इसलिए अफ़ज़ल गुरु को शहीद बताने वालों के साथ सरकार चला कर उसे मजबूत करना है और दिल्ली में लोकतंत्र बहुत मजबूत है इसलिए सेमिनार में गुंडागर्दी कर के इसे कमज़ोर करना है.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और फिर उसे चुप कराओ!

अच्छा होता केंद्र सरकार शैक्षिक परिसरों में खुलापन क़ायम करने का प्रयास करती. गुंडा तत्वों, उत्पात मचाने वालों और गुरमेहर को हत्या व रेप आदि की धमकी देने वालों की मुस्तैदी से धरपकड़ की जाती.