पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि हिंसा का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के उसके अनुरोध पर जेएनयू प्रशासन की ओर से अब तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, उसने व्हाट्सऐप को भी लिखित अनुरोध भेजकर उन दो ग्रुप का डेटा सुरक्षित रखने को कहा है जिन पर जेएनयू में हिंसा की साज़िश रची गई थी.
फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पांच जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में की गई हिंसा की पहचान निशाना बनाकर किए गए हमले के रूप में की है, जिसका उद्देश्य छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों डराना और धमकाना था. इसके साथ ही यह संस्थान के कुलपति के समर्थन और प्रोत्साहन के साथ किया गया था.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली पुलिस की एसआईटी के प्रमुख पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने कहा कि नौ में सात छात्र लेफ्ट संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, आईसा और डीएसएफ से जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान दो अन्य छात्रों के एबीवीपी से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने एबीवीपी का जिक्र नहीं किया.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छह सितंबर को छात्रसंघ चुनाव है. ‘लेफ्ट यूनिटी’ के तहत एसएफआई, डीएसएफ, आइसा और एआईएसएफ, बापसा के साथ फ्रैटर्निटी और एनएसयूआई के साथ एमएसएफ चुनाव मैदान में हैं. एबीवीपी और छात्र-राजद बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ रहे हैं.
दो बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को बिहार के सीवान शहर में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान हत्या कर दी गई थी.
लेफ्ट यूनिटी से एन. साई बालाजी, सारिका चौधरी, एजाज अहमद और अमुथा ने जीत हासिल की. इस साल के चुनाव में 67.8 प्रतिशत छात्रों ने मतदान किया था जो कि पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत अधिक है.
बीते शनिवार चुनाव परिणाम आने के बाद से ही छात्र अध्यक्ष पद के विजेता के नामांकन में गड़बड़ी और चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
चंद्रशेखर ने कहा था, ‘हां, मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है- भगत सिंह की तरह जीवन, चे ग्वेरा की तरह मौत.’ उनके दोस्त कहते हैं कि चंदू ने अपना वायदा पूरा किया.