सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले में कहा गया था कि यदि किसी कारण से कोई फैसला छह महीने के अंदर नहीं सुनाया जाता है, तब विषय में कोई भी पक्ष मामला वापस लेने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अर्ज़ी देने का हक़दार होगा और नए सिरे से दलील के लिए किसी अन्य पीठ को इसे सौंपा जा सकता है.
यह मामला 12-13 जुलाई, 1991 की दरम्यानी रात को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर में 10 सिखों की हत्या से संबंधित है. कुछ सिख तीर्थयात्री पीलीभीत से एक बस में तीर्थयात्रा के लिए जा रहे थे. आरोपी पुलिसकर्मी इस बस से 10 सिख युवकों को पकड़कर अपने साथ ले गए थे और तीन अलग-अलग एनकाउंटर में उन्हें मार डाला था.
वीडियो: 400 साल पुरानी बाबरी मस्जिद का विध्वंस देश की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु रहा है. इस विध्वंस के तीस साल पूरे होने पर इस बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.
शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका में केंद्र को ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित ग़लत ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास की किताबों व पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं बैठे हैं.
11 जुलाई 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों के आयोजन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. पीठ ने इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए चार प्रमुख दलों- भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा को नोटिस जारी किया था, लेकिन नौ साल बाद भी न तो किसी दल ने और न ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने अदालत में कोई जवाब दाख़िल किया है.
अमेठी ज़िला बार एसोसिएशन ने अपने महासचिव उमा शंकर मिश्रा के माध्यम से जिला प्रशासन, नगर पालिका परिषद और अमेठी के गौरीगंज पुलिस प्रशासन के ख़िलाफ़ एक जनहित याचिका लगाई थी, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने कथित तौर पर उनका घर तोड़ दिया था.
मुज़फ़्फ़रनगर की एमपी/एमएलए अदालत ने 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े एक मामले में 10 अक्टूबर को खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य लोगों को दो साल की जेल की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद यूपी विधानसभा ने उन्हें अयोग्य ठहरा कर उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी थी.
मामला गोरखपुर शहर के प्रमुख इलाके में स्थित एक संपत्ति से जुड़ा है, जिसमें वाणिज्य कर विभाग का कार्यालय हुआ करता था. अदालती कार्रवाई के बाद यह ज़मीन याचिकाकर्ता को मिल गई. तब तत्कालीन डीएम ने याचिकाकर्ता को गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई का नोटिस थमा दिया. अदालत ने डीएम कार्यालय पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है.
अक्टूबर 2020 में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन हाथरस सामूहिक बलात्कार कांड पर रिपोर्ट करने के लिए दिल्ली के कैब ड्राइवर मोहम्मद आलम के साथ हाथरस जा रहे थे, जब कप्पन के साथ आलम को भी रास्ते में गिरफ़्तार कर लिया गया था. यूएपीए मामले में आलम को पहले ही ज़मानत मिल चुकी है.
बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने के मामले में आरोपी बनाए गए पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा तथा बजरंग दल संस्थापक विनय कटियार समेत 32 लोगों को विशेष सीबीआई अदालत ने 30 सितंबर 2020 को बरी कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर से पीड़ित एक आरोपी की ज़मानत रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका दायर करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की खिंचाई करते हुए कहा कि उसे स्टेशनरी, क़ानूनी शुल्क और अदालत का वक़्त बर्बाद नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें 20 साल से अधिक पुराने हत्या के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर अर्जी को स्थानांतरित करने की मांग की गई है. केंद्रीय मंत्री पर साल 2000 में एक 24 वर्षीय युवक की हत्या का आरोप है.
बीते एक महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने बलात्कार के तीन आरोपियों को पीड़िता से शादी करने की शर्त पर ज़मानत दी. वहीं, दो अन्य मामलों में आरोपी के वकील के यह कहने पर कि आरोपी रिहा होते ही पीड़िता से शादी कर लेगा, जस्टिस सिंह ने उनकी ज़मानत को मंज़ूरी दी.
वीडियो: यूपी सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे स्वामी चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ दर्ज बलात्कार के मुक़दमे को वापस लेने की पैरवी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा कि मुक़दमा वापस नहीं लिया जा सकता है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने शाहजहांपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का रुख़ किया था, जिसमें उनके ख़िलाफ़ दर्ज बलात्कार के मामले को वापस लेने की मांग वाली राज्य सरकार की याचिका को अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था.