मध्य प्रदेश: आरएसएस को ‘आतंकी’ संगठन बताने वाले शख़्स की अग्रिम ज़मानत याचिका ख़ारिज

आरोप है कि इस शख़्स ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक की तुलना 'तालिबानी आतंकी संगठन' से की थी. आरोपी के वकील ने कहा कि उन्होंने कभी किसी धर्म या संगठन पर टिप्पणी नहीं की. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि उनके ख़िलाफ़ 'पर्याप्त सबूत' मौजूद हैं.

अग्रिम ज़मानत देने से पहले अदालत को अपराध की गंभीरता देखनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा हत्या के दो आरोपियों को दी गई अग्रिम ज़मानत के आदेश को रद्द करते हुए की. शीर्ष अदालत ने कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति का है, जिसमें एक व्यक्ति की हत्या की गई. प्राथमिकी और बयान संकेत देते हैं कि आरोपी की अपराध में विशेष भूमिका है.

सामाजिक-आर्थिक अपराध के आरोपी को ज़मानत मिलने पर उनके देश छोड़कर भागने का ख़तरा: अदालत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्जिकॉन मेडिक्विप प्राइवेट लिमिटेड के स्वंतत्र निदेशक पंकज ग्रोवर की अग्रिम ज़मानत याचिका को ख़ारिज कर दी, जिन पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कोष में घोटाले को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम क़ानून के तहत मामला दर्ज है. अदालत ने कहा कि इस तरह के अपराधी प्रभावशाली होते हैं. वे हमेशा ऐसी स्थिति में होते हैं कि विवेचना, साक्ष्य और गवाहों को प्रभावित कर सकें.

मंदिर में नमाज़: आरोपी को ज़मानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- गिरफ़्तारी आख़िरी विकल्प

उत्तर प्रदेश में मथुरा के नंदमहल मंदिर में कथित तौर पर बिना अनुमति नमाज़ पढ़ने के लिए सामाजिक संगठन ख़ुदाई ख़िदमतगार के चार सदस्यों के ख़िलाफ़ दो नवंबर 2020 को केस दर्ज किया गया था.

पुलिस के लिए किसी व्यक्ति की गिरफ़्तारी अंतिम विकल्प होना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निजी स्वतंत्रता एक बहुमूल्य मौलिक अधिकार है और बहुत अपरिहार्य होने पर ही इसमें कटौती होनी चाहिए. तर्कहीन और अंधाधुंध गिरफ़्तारी मानवाधिकारों का उल्लंघन है.

जस्टिस अरुण मिश्रा के न्यायिक परंपराओं की अनदेखी की वजह उनका रूढ़िवादी नज़रिया है

जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा प्रार्थनास्थलों पर सरकार की नीति, अश्लीलता और लैंगिक न्याय को लेकर दिए गए फ़ैसले क़ानूनी पहलुओं से ज़्यादा उनके निजी मूल्यों पर आधारित नज़र आते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में दी ढील, मुकदमे की सुनवाई तक मिल सकती है अग्रिम जमानत

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत सामान्य तौर पर तब तक समाप्त नहीं किए जाने की जरूरत है जब तक अदालत द्वारा उसे समन किया जाए या आरोप तय किए जाएं. हालांकि यह अदालत पर निर्भर है कि ‘विशेष या खास’ मामलों में इसकी अवधि तय करे.