नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल, बिक्रम मजीठिया के बाद केजरीवाल ने मानहानि के मुक़दमे में अरुण जेटली से लिखित माफ़ी मांगी है.
जन गण मन की बात की 210वीं कड़ी में विनोद दुआ वित्त विधेयक को लेकर सदन में हुए हंगामे और बैंकों का पैसा लेकर फ़रार हुए कारोबारियों पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा समर्थक मीडिया द्वारा द वायर की एक ऐसी रिपोर्ट को ख़ारिज करने की कोशिश की गई है, जो अब तक प्रकाशित नहीं हुई.
राज्यसभा सांसद स्वामी ने कहा कि जब इटली और इजिप्ट कालाधन वापस ला सकते हैं तो भारत क्यों नहीं ला सकता? भाजपा के अंदर ही कई ऐसे नेता हैं जो नहीं चाहते कि कालाधन वापस आए.
विशेष रिपोर्ट: वित्त सचिव हसमुख अधिया का कहना है कि उन्होंने यह क़ीमती तोहफ़ा तोषाखाने भिजवा दिया था, लेकिन वे यह नहीं बता पाए कि उन्होंने इस बारे में जांच के आदेश क्यों नहीं दिए.
चाहे हीरा-व्यापार का मामला हो या बुनियादी ढांचे की कुछ बड़ी परियोजनाएं, काम करने का तरीका एक ही रहता है- परियोजना की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना और बैंकों व करदाताओं का ज़्यादा से ज़्यादा पैसा ऐंठना.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में देने से समस्या ख़त्म हो जाएगी, ऐसा सोचना अज्ञानता के अलावा कुछ नहीं है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीएनबी घोटाले के बाद काफ़ी लोगों ने निजीकरण की बात शुरू कर दी है. भारत में बैंकों के निजीकरण को राजनीतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.
आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.
जन गण मन की बात की 199वीं कड़ी में विनोद दुआ नीरव मोदी और पीएनबी घोटाले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
पिछली सरकारों में व्यवस्था को अपने फ़ायदे के लिए तोड़ने-मरोड़ने वाले पूंजीपति मोदी सरकार में भी फल-फूल रहे हैं.
खेती-किसानी पर कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ अकाउंटेंट्स के सर्वे में 1200 लोगों को शामिल किया गया. भारतीय कारोबारियों ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन ने भारतीय व्यावसायिक समुदाय के लिए परेशानियां खड़ी की हैं.
यह बजट दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के बारे में न होकर एक ऐसे देश का बजट था, जो स्वास्थ्य पर दुनिया के किसी भी देश की तुलना में कम ख़र्च करता है, जहां सरकार चाहे कोई भी हो, नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाती.