नागरिकता क़ानून: केंद्र ने कोर्ट से कहा- अवैध प्रवासियों का सटीक आंकड़ा एकत्र कर पाना संभव नहीं

असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद नागरिकता अधिनियम, 1955 में जोड़ी गई धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत में चली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यह जवाब दाख़िल किया था. केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि 2017 और 2022 के बीच कुल 14,346 विदेशियों को निर्वासित किया गया है.

असम: ‘विदेशी’ घोषित कर डिटेंशन सेंटर भेजी गई महिला को छह साल बाद भारतीय माना गया

कछार ज़िले की दुलुबी बीबी की नागरिकता साल 1997 के विधानसभा चुनाव की वोटर्स लिस्ट में दर्ज नाम के आधार पर संदिग्ध मानी गई थी और 2017 में उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने 'विदेशी' घोषित कर दिया था. वे दो साल डिटेंशन सेंटर में रहीं. अब ट्रिब्यूनल ने उनके द्वारा दिए गए दस्तावेज़ों को सही माना है.

असम: ‘विदेशियों’ के पहले समूह को मटिया डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित किया गया

असम में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा 'विदेशी' घोषित किए गए और अदालत द्वारा वीज़ा उल्लंघन के दोषी ठहराए गए 45 पुरुष, 21 महिलाएं और दो बच्चों को गोआलपाड़ा में केंद्र के निर्देश पर बने देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर- मटिया ट्रांजिट कैंप में भेजा गया है.

नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए विशेष प्रावधान के तहत शामिल की गई है ताकि असम समझौते के तहत आने वाले लोगों की नागरिकता से संबंधित मामलों से निपटा जा सके. क़ानून का यह प्रावधान बांग्लादेश से असम आने वालों के लिए 25 मार्च 1971 की ‘कट ऑफ तारीख’ तय करता है.

परिसीमन से असम को वह सुरक्षा मिल सकती है, जो एनआरसी नहीं दे सका: असम के मुख्यमंत्री

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि एनआरसी असफल रहा और असम समझौता उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन एक ऐसा अभ्यास हो सकता है, जिसके माध्यम से हम असम के भविष्य को दो दशकों तक सुरक्षित रख सकते हैं.

असम: एनआरसी संयोजक ने विदेशी न्यायाधिकरणों से कहा- 2019 में आई सूची फाइनल नहीं

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम एनआरसी की अंतिम सूची अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों के नाम शामिल नहीं थे. इस सूची के प्रकाशन के बाद से ही राज्य समन्वयक हितेश देव शर्मा और राज्य की भाजपा सरकार इस पर सवाल उठाते रहे हैं.

हम चाहते हैं कि असम में एनआरसी दोबारा होः हिमंता बिस्वा शर्मा

असम में 'विदेशियों' की पहचान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई एनआरसी की अंतिम सूची अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से अधिक लोग को इस सूची जगह नहीं मिली थी. फाइनल सूची आने के बाद से ही राज्य की भाजपा सरकार इस पर सवाल उठाती रही है.

सीएए पर हिमंता बिस्वा शर्मा ने तोड़ी चुप्पी, कहा- असम में क़ानून लागू करने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध

नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध का केंद्र रहे असम में 27 मार्च से तीन चरणों में चुनाव हैं और सीएए विरोधी आंदोलन से निकले दलों के साथ अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि वे किसी भी क़ीमत पर राज्य में सीएए लागू नहीं होने देंगे.

असम विधानसभा चुनाव में सीएए कोई मुद्दा नहीं बनेगा: सर्बानंद सोनोवाल

असम विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर नागरिकता संशोधन क़ानून पर बोलने से बचने का आरोप लग रहा है, जबकि सीएए विरोधी आंदोलनों से निकले राजनीतिक दलों के साथ विपक्षी पार्टियां इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी हैं. उनका कहना है कि वे किसी भी कीमत पर सीएए लागू नहीं होने देंगी.

कांग्रेस असम में सत्ता में आने पर सीएए को अमान्य करने के लिए क़ानून लाएगी: प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा असम के दो दिवसीय दौरे के दौरान तेज़पुर में ‘पांच गारंटी’ अभियान की शुरुआत की और कहा कि भाजपा नेता जहां कहीं भी जाते हैं, सीएए के बारे में बात करते हैं, लेकिन असम में इस बारे में बोलने के लिए उनमें साहस नहीं है.

हिमंता बिस्वा शर्मा के बयान पर आसू ने कहा- असम समझौते के खंड 6 से कोई समझौता नहीं होगा

असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बुधवार को असम समझौते के खंड 6 को लेकर बनी केंद्रीय समिति की रिपोर्ट को लेकर कहा था कि सरकार इस समिति की सिफ़ारिशें लागू नहीं कर सकती क्योंकि वे क़ानूनी वास्तविकता से परे हैं. आसू ने इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

असम समझौते के खंड छह संबंधी सिफ़ारिशें वास्तविकता से परे, लागू नहीं कर सकते: हिमंता बिस्वा शर्मा

सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने असम में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों को शांत करने के लिए दिसंबर 2019 में खंड 6 के त्वरित कार्यान्वयन का वादा किया था. इसके बाद फरवरी 2020 में केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल ने अपनी सिफ़ारिशें केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थीं.

मोदी सरकार मूल निवासियों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही: असम जातीय परिषद

असम जातीय परिषद के महासचिव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निहित स्वार्थ को पूरा करने के लिए असम आते हैं, लेकिन अब यह सही समय है कि वह राज्य के लोगों को इस बात का जवाब दें कि असम समझौते के खंड छह को अभी भी लागू क्यों नहीं किया गया है.

1 2 3