असम: हिरासत से कथित तौर पर भागने की कोशिश कर रहे दो लोगों की पुलिस गोलीबारी में मौत

असम के कछार ज़िले का मामला. बीते जून महीने में असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को बताया था कि मई 2021 में हिमंता बिस्वा शर्मा के असम का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से 13 महीनों में पूरे राज्य में हिरासत से कथित तौर पर भागने के प्रयास के दौरान पुलिस कार्रवाई की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई.

पीपीई किट: असम के मुख्यमंत्री ने दिल्ली के डिप्टी सीएम के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा किया

बीते जून महीने में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा ने भी दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपये की मानहानि का मुक़दमा दर्ज कराया था. सिसोदिया ने साल 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान असम में पीपीई ख़रीद के लिए हिमंता की पत्नी की कंपनी को बाज़ार मूल्य से अधिक दामों पर ठेका देने का आरोप लगाया था. हिमंता उस वक़्त राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे.

पीपीई किट घोटाला: असम सीएम की पत्नी ने सिसोदिया पर 100 करोड़ की मानहानि का मुक़दमा किया

बीते चार जून को दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि कोविड महामारी के दौरान साल 2020 में एक ओर असम सरकार ने अन्य कंपनियों से जहां 600 रुपये में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट खरीदी थीं, तो दूसरी ओर उन्होंने अपनी पत्नी व बेटे के व्यापारिक भागीदारों की कंपनियों को 990 रुपये के हिसाब से तत्काल पीपीई किट की आपूर्ति के ऑर्डर दिए थे.

13 महीनों में असम पुलिस की कार्रवाई में 51 लोगों की मौत, 139 घायल: राज्य सरकार

असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को बताया कि मई 2021 में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के कार्यभार संभालने के बाद 13 महीनों में पूरे राज्य में पुलिस कार्रवाई या मुठभेड़ की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई और 139 अन्य घायल हो गए. हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें अदालत की निगरानी में किसी स्वतंत्र एजेंसी से मुठभेड़ों की जांच कराने का अनुरोध किया गया है.

असम: वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस ने पीपीई किट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई

आरोप है कि साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी और एक पारिवारिक मित्र के स्वामित्व वाली फर्मों को बाज़ार दरों से ऊपर पीपीई किट की आपूर्ति का ठेका दिया गया था. वाम दलों ने आरोप लगाया कि दो साल पहले कोविड-19 से निपटने के मद्देनज़र चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के ठेके देने के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), असम द्वारा सभी मानदंडों का उल्लंघन किया गया था.

असम के सीएम ने पत्नी-बेटे के साझेदारों की कंपनियों को पीपीई किट आपूर्ति के ठेके दिए: सिसोदिया

आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि साल 2020 में जब देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था, तब असम सरकार ने उस समय स्वास्थ्य मंत्री रहे हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी की कंपनी और बेटे के व्यापारिक साझेदारों को ‘अत्यधिक दरों’ पर पीपीई किट की आपूर्ति करने के लिए ठेके दिए थे. इस संबंध में द वायर’ और ‘द क्रॉस करंट’ बीते एक ​जून को रिपोर्ट प्रकाशित की थी. असम सरकार और हिमंता बिस्वा

असम सरकार, मुख्यमंत्री की आलोचना संबंधी ईमेल अफ़सरों को भेजने के आरोप में प्रोफेसर गिरफ़्तार

उनकी पहचान असम के हैलाकांडी शहर स्थित श्रीकिशन शारदा कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्रोफेसर जोमीर अहमद चौधरी के रूप में हुई. उन्हें शनिवार दोपहर अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें कुछ शर्तों पर ज़मानत दे दी है.

मेरी गिरफ़्तारी 56 इंच की कायरता: जिग्नेश मेवाणी

वीडियो: गुजरात के वडगाम से कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के संबंध में असम पुलिस ने बीते दिनों गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले में ज़मानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है.

गुजरात: कोर्ट ने 2017 की आज़ादी रैली मामले में जिग्नेश मेवाणी को तीन महीने जेल की सज़ा सुनाई

गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 में मेहसाणा से बनासकांठा ज़िले के धनेरा तक बगैर अनुमति के ‘आज़ादी रैली’ निकालने के लिए निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य लोगों को तीन महीने क़ैद की सज़ा सुनाई है. मेवाणी को बीते हफ्ते असम पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में ज़मानत पर रिहा किया गया था.

मेरी गिरफ़्तारी पीएमओ द्वारा रची गई एक पूर्व नियोजित साज़िश थी: जिग्नेश मेवाणी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के कारण असम पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद रिहा किए गए विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें ‘बदनाम करने’ की ‘पूर्व नियोजित साज़िश’ का हिस्सा थे. उन्होंने इसे ‘56 इंच का कायरतापूर्ण’ कृत्य क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ़्तारी के पीछे पीएमओ में बैठे कुछ गोडसे भक्त थे.

असम के मुस्लिम समुदाय की अलग पहचान के लिए जनगणना और प्रमाण-पत्र देने की सिफ़ारिश

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने जुलाई 2020 में राज्य के मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक आयोग का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में पहचान-पत्र या प्रमाण-पत्र जारी करने के साथ-साथ असमिया मुस्लिम समुदाय की पहचान और दस्तावेज़ीकरण के लिए जनगणना कराने का सुझाव दिया है.

असम: ‘उग्रवादियों के हमले’ के बाद पुलिस हिरासत में रहे दो कथित पशु तस्कर मारे गए

पुलिस ने कहा है कि असम के कोकराझार ज़िले जामदुआर इलाके में बीते 18 अप्रैल की देर रात उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में पशु तस्कर अकबर बंजारा और सलमान बंजारा मारे गए और चार पुलिसकर्मी घायल हो गए. एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने असम पुलिस की कहानी पर संदेह जताते हुए कहा कि विधि-शासन पर बंदूक-शासन हावी हो चुका है.

असम: कांग्रेस विधायक के बयान के बाद मठ की ज़मीन ख़ाली कराई गई, 37 परिवार बेदख़ल

असम के बारपेटा ​ज़िले का मामला. आरोप था कि 16वीं सदी के वैष्णव मठ ‘बारपेटा सत्र’ से जुड़ी लगभग 40 बीघा ज़मीन पर बंगाली मुस्लिम आबादी ने अतिक्रमण किया था. बीते दिनों यहां पहुंचे कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद एक वीडियो में कथित तौर पर कहते नज़र आए थे कि जब तक वे ज़िंदा हैं, यहां के लोगों को कोई बेदख़ल नहीं कर सकता. इस बयान पर विवाद के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने ज़मीन ख़ाली करा दी.

असम में बकरी चुराने के संदेह में व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या, दो लोग हिरासत में

असम के गोलाघाट जिले के ज़िले के ममरानी गांव का मामला. पुलिस ने बताया कि एक जनवरी की रात में पीड़ित पर हमला किया गया और रविवार सुबह उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. आरोपियों में से एक व्यक्ति की बकरी गायब हो गई थी और दास पर चोरी करने का संदेह था, जिसके बाद बकरी के मालिक ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर दास की पिटाई की.

असमः अख़बारों का मुख्यमंत्री के परिवार के कथित ज़मीन घोटाले के ज़िक्र वाला लेख छापने से इनकार

द वायर और द क्रॉसकरेंट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि असम में ज़रूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन किस तरह मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी. इस मुद्दे का ज़िक्र करते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक हीरेन गोहेन ने एक लेख लिखा था, जिसे राज्य के तीन अख़बारों ने प्रकाशित करने से मना कर दिया.