असम के मुस्लिमों पर हिमंता बिस्वा की टिप्पणी पर ओवैसी बोले- कट्टरता, नस्लवाद का खुला प्रदर्शन

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुस्लिम समुदाय से कहा था कि यदि वे चाहते हैं कि उनके साथ मूल निवासी जैसा बर्ताव किया जाए तो वे असमिया संस्कृति का पालन करें. मूल निवासी होने के लिए किसी को वहां की संस्कृति को स्वीकार करना होगा.

असम: साहित्य व छात्र संगठनों की अंग्रेज़ी को शिक्षा का माध्यम बनाने का फ़ैसला वापस लेने की मांग

बीते दिनों राज्य मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि शैक्षणिक वर्ष 2023 से सभी सरकारी और प्रांतीय असमिया और अन्य स्थानीय माध्यम के स्कूलों में कक्षा तीन से गणित और विज्ञान अंग्रेज़ी में पढ़ाए जाएंगे. साहित्य व छात्र संगठनों का कहना है कि हालिया आदेश मातृभाषा में पढ़ाई कराने वाले स्कूलों और अंतत: असमी, बोडो व राज्य की अन्य भाषाओं के लिए मौत का फ़रमान साबित होंगे.

असम साहित्य सभा और स्टूडेंट यूनियन ने राज्य में हिंदी को अनिवार्य विषय बनाए जाने का विरोध किया

असम में विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार की उस घोषणा का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि पूर्वोत्तर के आठों राज्य 10वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने पर सहमत हो गए हैं. उन्होंने इस क़दम को ‘सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की ओर बढ़ाया गया क़दम’ क़रार दिया.

क्या हिंसा की संस्कृति अब भारत की पहचान बनती जा रही है

अगर किसी के ख़िलाफ़ शक़ और नफ़रत समाज में भर दी जाए तो उस पर हिंसा आसान हो जाती है क्योंकि उसका एक कारण पहले से तैयार कर लिया गया होता है. आज हिंसा और हत्या की इस संस्कृति को समझना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है इसके पहले कि यह देश को पूरी तरह तबाह कर दे.

असम फायरिंग को अवैध क़ब्ज़े से ज़मीन ख़ाली कराने के मसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए

असम में ज़मीन से ‘बाहरी’ लोगों की बेदख़ली मात्र प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक अभियान है. बेदख़ली एक दोतरफा इशारा है. हिंदुओं को इशारा कि सरकार उनकी ज़मीन से बाहरी लोगों को निकाल रही है और मुसलमानों को इशारा कि वे कभी चैन से नहीं रह पाएंगे.

हिमंता बिस्वा शर्मा के बयान पर आसू ने कहा- असम समझौते के खंड 6 से कोई समझौता नहीं होगा

असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बुधवार को असम समझौते के खंड 6 को लेकर बनी केंद्रीय समिति की रिपोर्ट को लेकर कहा था कि सरकार इस समिति की सिफ़ारिशें लागू नहीं कर सकती क्योंकि वे क़ानूनी वास्तविकता से परे हैं. आसू ने इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

असम समझौते के खंड छह संबंधी सिफ़ारिशें वास्तविकता से परे, लागू नहीं कर सकते: हिमंता बिस्वा शर्मा

सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने असम में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों को शांत करने के लिए दिसंबर 2019 में खंड 6 के त्वरित कार्यान्वयन का वादा किया था. इसके बाद फरवरी 2020 में केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल ने अपनी सिफ़ारिशें केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थीं.

गृह मंत्रालय की समिति नहीं बता सकती कौन असमिया, विधानसभा की स्वीकृति ज़रूरी: हिमंता बिस्वा सरमा

असम समझौते के खंड छह को लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित 14 सदस्यीय समिति के चार सदस्यों ने फरवरी में राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को रिपोर्ट लीक कर दी थी.

वर्ष 1951 से होगा ‘असमिया लोगों’ का निर्धारण: गृह मंत्रालय की समिति की रिपोर्ट

असमिया लोगों के निर्धारण के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा असम समझौते की धारा छह को लागू करने के लिए गठित एक उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट को इसके चार सदस्यों ने सार्व​जनिक कर दिया है. इसमें गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि असमिया लोगों के निर्धारण के लिए 1951 को कट-ऑफ वर्ष माना जाना चाहिए.

‘मैं मिया हूं’ कविता लिखने वाले कवि ने कहा, असमिया भावनाएं आहत हुईं तो मुझे खेद है

इस कविता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद ‘मैं मिया हूं’ कविता के रचनाकार हाफ़िज़ अहमद सहित 10 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. इन लोगों पर अपनी कविताओं के ज़रिये असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और असमिया लोगों के प्रति नफ़रत या पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया गया है.

​‘मैं बंजर पड़ी ज़मीनों को हरे लहलहाते धान के खेतों में बदलता हूं, लिखो मैं एक मिया हूं’

असम में मिया कविता पर बना एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद इस कविता के रचनाकार हाफ़िज़ अहमद समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया. आरोप है कि इन कविता में एनआरसी और असमिया लोगों के प्रति पूर्वाग्रह झलकता है.

हिंदी सहित छह क्षेत्रीय भाषाओं में अपने फैसले का अनुवाद उपलब्ध कराएगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट हिंदी के अलावा जिन भाषाओं में अपने फैसलों का अनुवाद उपलब्ध कराएगा उनमें असमिया, कन्नड़, मराठी, उड़िया और तेलुगू शामिल हैं.

एनआरसी की जड़ें असम के इतिहास से जुड़ी हुई हैं

असम देश का इकलौता राज्य है, जहां राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी बनाया जा रहा है. एनआरसी क्या है? असम में ही इसे क्यों लागू किया गया है और इसे लेकर विवाद क्यों है?