सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को कहा कि पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसके लिए कोई अनुभवजन्य साक्ष्य मौजूद नहीं है.
केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने केंद्र से शिकायत करते हुए कहा है कि ख़ुद केंद्रीय मंत्रालय के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उत्तराखंड के अधिकारियों ने पतंजलि आयुर्वेद के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है.
केरल के औषधि नियंत्रण विभाग ने यह क़दम कन्नूर स्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू की शिकायत पर उठाया है. विभाग ने कहा है कि बाबू ने पतंजलि के विज्ञापनों के 29 उदाहरणों का दस्तावेज़ीकरण किया है, जो कथित तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 का उल्लंघन करते हैं.
मशहूर हेपेटोलॉजिस्ट (यकृत, पित्ताशय और अग्न्याशय रोग विशेषज्ञ) डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स आयुष दवाओं से जुड़े कुछ तरीकों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते हैं. उनके अनुसार, इनसे कुछ मरीज़ों को लिवर संबंधी समस्याएं हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केरल सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए ‘आर्सेनिकम एल्बम 30सीएच’, जिसमें कैसरकारक आर्सेनिक होता है, को 38 लाख से 50 लाख स्कूली बच्चों के बीच वितरित करने का निर्णय लिया गया था. याचिका में कहा गया है कि ऐसी छह लाख दवाएं पहले ही वितरित की जा चुकी हैं.
ख़बरों के अनुसार, उत्तराखंड की आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाओं के अधिकारियों द्वारा जारी पत्र में रामदेव की पतंजलि दिव्य फार्मेसी को इसकी पांच दवाओं का उत्पादन और विज्ञापन बंद करने को कहा गया है. इससे पहले भी कंपनी द्वारा कोविड-19 का 'इलाज' बताई गई कोरोनिल समेत कुछ दवाओं को लेकर सवाल उठ चुके हैं.
विशेष: दवाओं से जुड़े क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए रामदेव की पतंजलि वेलनेस और दिव्य साइंटिफिक आयुर्वेद द्वारा अपने उत्पादों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हुए अख़बारों में धड़ल्ले से साक्ष्य रहित एलोपैथी विरोधी विज्ञापन दिए जा रहे हैं. इससे पहले महामारी के बीच में रामदेव ने 'कोरोना वायरस की दवा' बनाने का भी दावा किया था.
योग गुरु रामदेव के पतंजलि योगपीठ की इकाई दिव्य फार्मेसी पर अपने आयुर्वेदिक उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन जारी करने का आरोप है. इसे लेकर आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा (उत्तराखंड) के लाइसेंसिंग अधिकारी ने कंपनी के ख़िलाफ़ ज़रूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
उत्तराखंड के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे अवैध ठहराया. संगठन ने कहा है कि एलोपैथी के बारे में जाने बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथिक दवाएं कैसे लिख सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों की इस सबंध में स्पष्ट राय है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथी की प्रैक्टिस नहीं कर सकते, क्योंकि वे इसके योग्य नहीं हैं.
नेपाल में कोरोनिल किट के वितरण पर रोक के बाद आयुर्वेद और वैकल्पिक चिकित्सा विभाग ने कहा कि कोरोनिल की खरीद के दौरान उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था. साथ ही यह कोरोना वायरस को ख़त्म करने वाली दवाओं के बराबर नहीं है. इससे पहले भूटान ने इस दवा के वितरण पर पाबंदी लगाई थी.
कोविड-19 के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव पर सवालों के बीच आयुष मंत्रालय ने घोषणा की है कि वह अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले कोविड मरीज़ों को आयुष 64 और कबसुरा कुदिनेर नामक दो आयुर्वेदिक दवाएं वितरित करेगा.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले नियमों को ख़ारिज करने का अनुरोध किया है. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद शिक्षा) नियमन, 2016 में संशोधन कर आयुर्वेदिक पढ़ाई में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने का प्रावधान किया गया है.
केंद्रीय आयुष मंत्री नाईक ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ही शिक्षित हैं और उन्हें सर्जरी करने का भी प्रशिक्षण प्राप्त है. आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का एलोपैथिक डॉक्टरों का एक तबका विरोध कर रहा है और इसे ‘मिक्सोपैथी’ या खिचड़ीकरण क़रार दिया है.
कोरोना वायरस के उपचार के दावे के साथ लॉन्च हुई पतंजलि की 'कोरोनिल' को आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाण पत्र मिलने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हैरानी जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन से सवाल किया है कि पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है.
कोरोना के इलाज के दावे के साथ लॉन्च हुई पतंजलि की 'कोरोनिल' को आयुष मंत्रालय से मिले प्रमाणपत्र को डब्लूएचओ की मंज़ूरी और रामदेव द्वारा कोरोनिल को 150 से अधिक देशों में बेचने की अनुमति मिलने का दावा संदेह के घेरे में है. साथ ही इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी सवाल उठाए हैं.