‘बाबा साहेब किताबें इकट्ठा करते थे, लेकिन मैं लोगों को इकट्ठा करता हूं’

जन्मदिन विशेष: मान्यवर कांशीराम के निकट राजसत्ता की चाभी बहुजन हितकारी सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के बंद ताले खोलने का पूरी तरह अपरिहार्य साधन थी और वे मानते थे कि देश की सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्थाओं में बहुजनों को अपरहैंड तभी मिल सकता है, जब यह चाभी उनके पास रहे. इसके इतर स्थिति में जिसके हाथ में यह चाभी रहेगी, उन्हें उसी की धुरी पर नाचते रहना होगा.

क्यों हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र के ख़िलाफ़ थे आंबेडकर?

वीडियो: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के विचारों और उनकी कल्पना के समाज के विषय पर प्रोफेसर इरफ़ान हबीब और असिस्टेंट प्रोफेसर लक्ष्मण यादव से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.