वीडियो: महाराष्ट्र से जिन लोगों को राज्यसभा में भेजने का ऐलान भाजपा ने किया है उनमें से एक वह हैं, जो बाबरी विध्वंस के समय गुंबद पर खड़े थे. जो कारसेवा के काम में लगे थे. उनका नाम अजीत गोपचड़े है. हाल ही में भाजपा ने महाराष्ट्र से गोपचड़े के अलावा कांग्रेस से आए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण, पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.
महाराष्ट्र: एफटीआईआई में हिंदुत्ववादियों के बाबरी संबंधी बैनर को जलाने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया
23 जनवरी को पुणे में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) परिसर में बाबरी मस्जिद विध्वंस पर बनी एक फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्यों द्वारा छात्रों पर हमला करने की ख़बर आई थी. बताया गया है कि उन लोगों ने 'रिमेंबर बाबरी' लिखे एक बैनर को भी जलाया था.
वीडियो: टीवी मीडिया में क़रीब दो दशकों तक काम करने वाले दयाशंकर मिश्र द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर लिखी गई किताब के विमोचन समारोह में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का वक्तव्य.
वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
वीडियो: राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर प्रोफेसर अपूर्वानंद, लेखक धीरेंद्र के. झा, वलय सिंह, द वायर के संपादकों- सिद्धार्थ वरदराजन और सीमा चिश्ती के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का पूर्ण 'राजनीतिकरण' क्या हिंदुओं के लिए आत्मचिंतन का समय है? इस बारे में द वायर के संपादकों- सिद्धार्थ वरदराजन और सीमा चिश्ती के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की यात्रा पर वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद की बातचीत.
वीडियो: राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर बिहार के ग्रामीणों से बातचीत.
आडवाणी ने 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया था और उनकी रथयात्रा 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के साथ समाप्त हुई थी. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कथित तौर पर उन्हें और उनके सहयोगी मुरली मनोहर जोशी को 22 जनवरी के समारोह में शामिल नहीं होने के लिए कहा था. हालांकि बाद में उन्हें आमंत्रित कर दिया गया था.
तेलंगाना के रचाकोंडा में एक रेस्तरां में आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी. पुलिस को दी गई शिकायत में आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी.
अयोध्या को भारत की, या कहें हिंदुओं की धार्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का राज्य समर्थित अभियान चल रहा है. लोगों के दिमाग़ में 22 जनवरी, 2024 को 26 जनवरी या 15 अगस्त के मुक़ाबले एक अधिक बड़े और महत्त्वपूर्ण दिन के रूप में आरोपित करने को भरपूर कोशिश हो रही है.
अयोध्या का मंदिर हिंदू जनता पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी तथा उनके सहयोगी संगठन के कसे हुए शिकंजे का मूर्त रूप है. इसमें होने जा रही प्राण-प्रतिष्ठा का निश्चय ही भक्ति, पवित्रता और पूजा से लेना-देना नहीं है.
वीडियो: अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ समारोह को लेकर हो रही राजनीति और इस मंदिर की पृष्ठभूमि को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
अयोध्या की सभा असत्य और अधर्म की नींव पर निर्मित हुई है, क्योंकि जिसे इसके दरबारीगण सत्य की विजय कहते हैं, वह दरअसल छल और बल से उपजी है. अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए ये दरबारी भूल जाते हैं कि इसी अदालत ने छह दिसंबर के अयोध्या-कांड को अपराध क़रार दिया था.
वीडियो: ‘अयोध्या: द डार्क नाइट’ के लेखक-पत्रकार धीरेंद्र के झा और ‘अयोध्या: सिटी ऑफ फेथ, सिटी ऑफ डिस्कॉर्ड’ नामक किताब के लेखक-पत्रकार वलय सिंह से द वायर की संपादक सीमा चिश्ती की बातचीत.